Last Updated: Friday, March 1, 2013, 13:30

हैदराबाद: पहले टेस्ट में शानदार जीत दर्ज करने के बाद आत्मविश्वास से लबरेज भारतीय टीम शनिवार से आस्ट्रेलिया के खिलाफ यहां शुरू हो रहे दूसरे क्रिकेट टेस्ट में इस प्रदर्शन को दोहराकर अपराजेय बढ़त लेने के इरादे से उतरेगी।
दोहरा शतक जमाने वाले कप्तान महेंद्र सिंह धोनी और 12 विकेट लेने वाले आफ स्पिनर आर अश्विन के शानदार प्रदर्शन के दम पर पहला मुकाबला जीतने वाली भारतीय टीम को आत्ममुग्धता से बचना होगा।
धोनी एंड कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि इंग्लैंड की तरह आस्ट्रेलियाई टीम भी श्रृंखला में पिछड़ने के बाद वापसी ना करने पाए। एलेस्टेयर कुक की अगुवाई वाली इंग्लैंड टीम ने पिछली टेस्ट श्रृंखला 2-1 से जीती थी।
टेस्ट क्रिकेट में काफी समय से खराब प्रदर्शन कर रही भारतीय टीम के लिए धोनी का शानदार फार्म संजीवनी साबित हुआ है। धोनी इस समय मोर्चे से अगुवाई कर रहे हैं।
पिछली बार राजीव गांधी स्टेडियम पर भारत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ एक पारी और 115 रन से जीत दर्ज की थी जिसमें अश्विन ने 85 रन देकर 12 विकेट लिए थे।
वह मैच तीसरे ही दिन खत्म हो जाता यदि बारिश की गाज नहीं गिरी होती। टीम इंडिया के लिए अच्छी बात यह है कि अश्विन इस समय भी बेहतरीन फार्म में हैं और श्रृंखला में अहम भूमिका निभाएंगे।
मेजबान टीम के सामने चयन की भी कोई दुविधा नहीं है। उसे हालांकि यह तय करना होगा कि स्थानीय खिलाड़ी प्रज्ञान ओझा को उनके घरेलू मैदान पर उतारा जाए या नहीं।
चेन्नई में भले ही मुरली विजय और वीरेंद्र सहवाग फ्लाप रहे हों लेकिन धोनी और टीम प्रबंधन सलामी जोड़ी के साथ छेड़छाड़ नहीं करना चाहेगा। भारतीय कप्तान विजयी टीम में अधिक बदलाव के हिमायती नहीं रहते हैं। मध्यक्रम में कोई बदलाव की गुंजाइश नहीं हैं। ऐसे में सवाल एक ही है कि चेन्नई में उपेक्षा का शिकार हुए ओझा को अपने घरेलू मैदान पर खेलने का मौका मिलता है या नहीं।
धोनी को गेंदबाजी संयोजन पर विचार करना होगा। ओझा सौराष्ट्र के हरफनमौला रविंद्र जडेजा से कहीं बेहतर विकल्प है लेकिन जडेजा ने पहले टेस्ट में पांच विकेट लेकर अश्विन का बखूबी साथ निभाया।
हरभजन सिंह पहली पारी में सर्वश्रेष्ठ फार्म में नहीं दिखे लेकिन दूसरी पारी में उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया।
भारत चार स्पिनरों को लेकर उतरने की गलती नहीं करना चाहेगा जैसा इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में किया था। आस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने के लिए हालांकि एक तेज गेंदबाज की एवज में ओझा को उतारना होगा।
ईशांत शर्मा और भुवनेश्वर कुमार पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग पैदा नहीं कर पा रहे और ना ही उनसे आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को कोई परेशानी हो रही है। इनमें से एक को बाहर किया जा सकता है।
दूसरी ओर आस्ट्रेलियाई टीम दूसरे विशेषज्ञ स्पिनर को लेकर उतरना चाहेगी। कप्तान माइकल क्लार्क को बखूबी पता है कि नाथन लियोन किसी भी मायने में ग्रीम स्वान की तरह बेहतरीन स्पिनर नहीं है और ना ही बाएं हाथ के स्पिनर जेवियर डोहर्टी में मोंटी पनेसर जैसी काबिलियत है। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 1, 2013, 13:30