Last Updated: Thursday, July 4, 2013, 19:34

नई दिल्ली : परगट सिंह ने भारत के मुख्य हॉकी कोच के रूप में माइकल नोब्स की नियुक्ति में अहम भूमिका अदा की थी लेकिन इसी पूर्व कप्तान ने कहा कि अब समय आ गया है कि नतीजे नहीं देने वाले इस ऑस्ट्रेलियाई कोच को ‘बाहर करने का आदेश’ दे देना चाहिए।
परगट ने हॉकी इंडिया की तकनीकी समिति के अध्यक्ष के तौर पर नोब्स के चयन को तरजीह दी थी। उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा, ‘अगर वह नतीजे देने में कामयाबी हासिल करते हैं तो उन्हें रूकना चाहिए लेकिन अगर ऐसा नहीं है तो अधिकारियों को उन्हें बाहर करने का आदेश देने में हिचकना नहीं चाहिए। अगर वह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं तो उन्हें उनकी जिम्मेदारियों से तत्काल प्रभाव से हटा देना चाहिए।’ अब तक दो साल के कार्यकाल में नोब्स भारतीय हॉकी का भाग्य बदलने में असफल रहे हैं। इस ऑस्ट्रेलियाई के नेतृत्व में आठ बार की चैम्पियन भारतीय टीम पिछले साल लंदन ओलंपिक में निचले पायदान पर रही थी।
नोब्स पर भारत को हालैंड के हेग में मई-जून 2014 में होने वाले विश्व कप के लिए क्वालीफाई कराने का दबाव बना हुआ है क्योंकि सरदार सिंह की कप्तानी वाली टीम पिछले महीने रोटरडम में एफआईएच विश्व लीग सेमीफाइनल में सीधे प्रवेश पाने में असफल रही थी। परगट अब तकनीकी समिति का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने हॉकी इंडिया के काम करने के तरीके की भी आलोचना की। अगर भारतीय टीम 24 अगस्त से एक सितंबर तक मलेशिया के इपोह में होने वाले आठ देशों के एशिया कप में जीत दर्ज कर विश्व कप के लिए क्वालीफाई करने में असफल रहते हैं तो नोब्स को उनके पद से बर्खास्त किया जा सकता है।
परगट ने कहा, ‘उन्हें (नोब्स) को पांच साल के कार्यकाल के लिए नियुक्त किया गया था। उन्होंने अपने पद के दो साल पूरे कर लिए हैं लेकिन क्या हॉकी इंडिया कभी भी उनके प्रदर्शन का आंकलन करती है? क्या महासंघ खिलाड़ियों से या अन्य कोचों से उनके काम करने के स्टाइल पर प्रतिक्रिया लेता है।’
वर्ष 1992 बार्सिलोना ओलंपिक और 1996 अटलांटा ओलंपिक में भारत की कप्तानी करने वाले परगट ने कहा, ‘हॉकी इंडिया को उनके प्रदर्शन की हर साल समीक्षा करने की जरूरत है। अगर किसी को लंबे कार्यकाल के लिये नियुक्त किया गया है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह बिना परिणाम दिये अपना कार्यकाल पूरा कर सकता है।’ (एजेंसी)
First Published: Thursday, July 4, 2013, 19:34