Last Updated: Sunday, January 13, 2013, 19:43

नई दिल्ली : दुनिया के शीर्ष हॉकी खिलाड़ियों के बीच सोमवार से शुरू हो रही पहली हॉकी इंडिया लीग के जरिए विश्व हाकी के एक नए युग का सूत्रपात होगा जिसमें आईपीएल की तर्ज पर पांच शहरों की टीमें खिताब के लिए भिड़ेंगी। पहला मैच सोमवार को दिल्ली वेवराइडर्स और जेपी पंजाब वारियर्स के बीच खेला जाएगा।
मेजर ध्यानचंद राष्ट्रीय स्टेडियम पर सोमवार से पहले मैच से 10 फरवरी तक चलने वाली हॉकी की नई जंग का आगाज होगा। इसमें दिल्ली और पंजाब के अलावा यूपी विजार्डस, रांची राइनोज और मुंबई मैजिशियंस भी मैदान में रहेंगी। हर टीम में 24 खिलाड़ी हैं जिनमें से 10 खिलाड़ी विदेशी हैं।
हालैंड के टोन डे नूयेर (87400 डॉलर यूपी) सबसे महंगे बिके खिलाड़ी हैं जबकि भारत के सरदार सिंह (दिल्ली 78000) सबसे महंगे भारतीय खिलाड़ी हैं।
इनके अलावा विश्व चैम्पियन आस्ट्रेलिया के कप्तान जैमी ड्वायेर (पंजाब), इस साल एफआईएच के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी ओलंपिक चैम्पियन जर्मनी के कप्तान मौरित्ज फ्युस्र्ते (रांची) और भारतीय ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह (मुंबई), भारत के स्टार फारवर्ड एस वी सुनील (पंजाब) आइकन खिलाड़ी चुने गए।
भारतीय टीम के कप्तान और दिल्ली के आइकन खिलाड़ी सरदार ने इस लीग को भारतीय हॉकी के लिए वरदान बताते हुए कहा,‘इस लीग के जरिए भारतीय खिलाड़ियों को दुनिया के नामचीन खिलाड़ियों से काफी कुछ सीखने को मिलेगा। इसके अलावा दुनिया के शीर्ष कोचों के मार्गदर्शन में खेलने का मौका मिल रहा है। उम्मीद है कि इस लीग से भारतीय हॉकी के लिए खिलाड़ियों का पूल बड़ा होगा।’
पहले लीग में छह टीमें होनी थीं लेकिन बेंगलूर फ्रेंचाइजी को किसी ने खरीदा नहीं। इसके बाद हालैंड के महान ड्रैग फ्लिकर ताइके ताकेमा चोट के कारण लीग से बाहर हो गए। फिर नौ पाकिस्तानी खिलाड़ियों को वीजा देरी से मिलने के कारण उनकी भागीदारी पर सवालिया निशान लग गए हालांकि बाद में उन्हें वीजा मिल गए। कागजों पर बराबरी की दिख रही टीमें पिछले दो सप्ताह से साथ अभ्यास कर रही हैं।
पंजाब के कप्तान ड्वायेर ने स्वीकार किया कि अलग अलग मुल्कों के खिलाड़ियों को एक ईकाई के रूप में ढालना बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा,‘ अपने देश की टीम की कप्तानी करना आसान होता है लेकिन अलग अलग देशों से आये खिलाड़ियों को एक ईकाई के रूप में बांधना चुनौतीपूर्ण है। मैदान के भीतर और बाहर तालमेल ही लीग में सफलता की कुंजी होगा और मुझे यकीन है कि भारतीय हाकी के लिये यह लीग चमत्कारी साबित होगी।’
पिछले दो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली जर्मन टीम के कप्तान फ्युस्र्ते के अनुसार इस लीग से भारतीय हाकी का पुराना गौरव लौटाने में मदद मिलेगी ।
उन्होंने कहा,‘भारत जैसा हाकी का क्रेज मैने कहीं नहीं देखा। इस लीग से भारतीय हॉकी का पुराना गौरव लौटाने में मदद मिलेगी। भारत के युवा खिलाड़ियों को दुनिया के शीर्ष खिलाड़ियों और कोचों से काफी कुछ सीखने को मिलेगा। डच और जर्मन लीग से जिस तरह यूरोपीय हॉकी को फायदा मिला है, उसी तरह भारतीय हॉकी के लिये यह लीग मददगार होगी।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, January 13, 2013, 19:43