Last Updated: Saturday, December 31, 2011, 09:08
सिडनी: सौरव गांगुली के 2008 में संन्यास के बाद से बल्लेबाज क्रम का छठा स्थान टीम इंडिया के लिए परेशानी का सबब रहा है और यह समस्या आस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले क्रिकेट टेस्ट में भी जारी रही जब विराट कोहली दोनों पारियों में विफल रहे।
युवराज सिंह, सुरेश रैना और अब विराट कोहली को इस स्थान पर आजमाया जा चुका है । इन्होंने कुछ अच्छी पारियां खेली लेकिन टीम में अपनी जगह पक्की करने में नाकाम रहे।
गांगुली ने आस्ट्रेलिया के खिलाफ 2008 में नागपुर में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लिया। उन्होंने 113 टेस्ट में 42.18 की औसत से 7212 रन बनाए जिसमें 16 शतक शामिल थे। इस पूर्व भारतीय कप्तान ने अपने कैरियर में कई उतार चढ़ाव देखे लेकिन इसके बावजूद एक दशक से अधिक समय तक वह टीम का हिस्सा रहे।
गांगुली के संन्यास लेने के बाद भारत ने अब तक जो 34 मैच खेले उसमें निचला क्रम उपयोगी योगदान देने में विफल रहा, विशेषकर विदेशी पिचों पर । युवराज ने 37 टेस्ट की 57 पारियों में से 39 छठे नंबर पर खेली। इस दौरान उनका औसत छठे स्थान पर भले ही 38.83 रहा और उन्होंने तीन शतक भी जमाए लेकिन ये तीनों सैकड़े उपमहाद्वीप की पिचों पर बने।
बायें हाथ का यह बल्लेबाज विदेशी सरजमीं पर यादगार पारी खेलने में विफल रहा। वह विदेशी सरजमीं पर केवल दो अर्धशतक जड़ पाए जो उनकी क्षमता के अनुरूप नहीं है। रैना ने 15 टेस्ट में 26 पारियां खेली जिसमें से 19 छठे नंबर पर रही। वह इस क्रम पर उतरकर एक शतक की मदद से 35.72 की औसत से ही रन बना पाए। रैना इंग्लैंड में इस साल चार टेस्ट में 13.13 की औसत से केवल 105 रन ही बना पाए।
अब कोहली की बारी है और उन्हें टेस्ट और वनडे की अपनी फार्म के बीच के अंतर को पाटना होगा। वनडे में बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद दिल्ली का यह बल्लेबाज पांच टेस्ट की 10 पारियों में 22.44 की औसत से केवल 202 रन बना पाया है।
किसी भी टीम के लिए छठा नंबर काफी अहम होता है। इसी क्रम के बल्लेबाज को अधिकतर दूसरी नयी गेंद से निपटना होता है और निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ उपयोगी साझेदारी करनी होती है।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, December 31, 2011, 14:38