मैदान पर मैं कभी-कभी सचिन से असहमत रहा: धोनी--I have at times disagreed with Sachin on team strategy: Dhoni

मैदान पर मैं कभी-कभी सचिन से असहमत रहा: धोनी

मैदान पर मैं कभी-कभी सचिन से असहमत रहा: धोनीनई दिल्ली : महेंद्र सिंह धोनी अपने आदर्श खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर से मैदान से बाहर बात करने में अब भी सकुचाते हैं लेकिन उन्होंने ईमानदारी से कहा कि क्रिकेट मैदान पर टीम रणनीति को लेकर कुछ अवसरों पर उनकी राय इस स्टार बल्लेबाज से अलग होती है। धोनी ने कहा कि वह तेंदुलकर से टीम रणनीति को लेकर मैदान पर चर्चा करते हैं तथा वह अपने इस सीनियर साथी की राय पर असहमति जताने से भी परहेज नहीं करते। उन्होंने कहा, ‘‘तेंदुलकर खेल में मेरे हीरो है और क्योंकि वह जिस मुकाम पर पहुंच गये हैं, मैं अब भी मैदान के बाहर उनसे बात करने में सकुचाता हूं। लेकिन मैदान पर टीम रणनीति को लेकर मैं अपनी बात ईमानदारी से रखता हूं।’’ धोनी ने कहा, ‘‘तेंदुलकर और मैं मैदान पर टीम रणनीति को लेकर चर्चा करते हैं। यदि मैं आश्वस्त हूं तो मैं उनसे असहमत भी हो जाता हूं और ऐसा अक्सर होता है। मुझे लगता है कि मेरी ईमानदारी के कारण ही उन्होंने कप्तानी के लिये मेरा नाम सुझाया था। उन्हें शायद लगा था कि मैं खेल के विभिन्न पहलुओं और टीम रणनीति को बहुत जल्दी समझ जाता हूं।’’ उन्होंने पत्रकार विमल कुमार की किताब ‘तेंदुलकर, द क्रिकेटर आफ द सेंचुरी’ नामक किताब के विमोचन के अवसर पर कहा, ‘‘यदि मुझे कप्तान नहीं बनाया जाता तब भी यह मेरे लिये सम्मान की बात होती कि तेंदुलकर ने मेरा नाम सुझाया था।’’

धोनी ने खुलासा किया कि जब वह दस साल पहले तेंदुलकर से मिले थे तो वह उनसे बात नहीं कर पाये थे लेकिन उन्होंने इस स्टार बल्लेबाज के लिये मैदान पर पानी पहुंचाया था। उन्होंने ‘‘वह 2000-01 या 2001-02 का पुणे में खेला गया दलीप ट्राफी का मैच था। मैं पूर्व क्षेत्र की टीम में था और मेरा काम पानी पहुंचाना था। तेंदुलकर ने उस मैच में 199 रन बनाये तथा जब वह बल्लेबाजी कर रहे थे तब मैं ड्रिंक्स ब्रेक पर अपने साथियों को पानी देने के लिये मैदान पर गया। अचानक ही उन्होंने मुझसे कहा, ‘क्या मैं भी पानी ले सकता हूं।’’ धोनी ने कहा, ‘‘यह मेरी अपने आदर्श तेंदुलकर के साथ पहली मुलाकात थी। मैं उनसे बात नहीं कर पाया और मैंने उन्हें पानी दिया।’’ तेंदुलकर किताब के विमोचन के तुरंत बाद चले गये थे।

धोनी ने कहा, ‘‘मैं अमूमन क्रिकेट मैच नहीं देखता लेकिन यदि तेंदुलकर बल्लेबाजी कर रहा हो तो मैं देखता था। मुझे आस्ट्रेलिया (1992) में खेला गया विश्वकप याद है। मैंने अपने पिताजी से कहा था कि यदि तेंदुलकर बल्लेबाजी कर रहा हो तो मुझे उठा देना।’’ धोनी से पूरी टीम के तेंदुलकर को ‘पाजी’ कहकर बुलाने के बारे में पूछा गया, उन्होंने कहा, ‘‘हम आदर के तौर पर तेंदुलकर पाजी कहते हैं। सभी जानते हैं कि यह पंजाबी शब्द है और हम हरभजन पाजी भी कहते हैं। लेकिन श्रीसंत टीम के अन्य खिलाड़ियों को पाजी कहता है और तेंदुलकर को भैया कहकर बुलाता है।’’ धोनी कहा कि संन्यास के बाद तेंदुलकर से दोस्ती बनाये रखना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह मुश्किल सवाल है। मैंने कहा कि मुझे अब भी क्रिकेट मैदान से इतर उनसे बात करने में मुश्किल होती है। इसलिए संन्यास के बाद तेंदुलकर के साथ दोस्ती बनाये रखना मुश्किल होगा। हो सकता है कि मैं उनसे कार या बाइक को लेकर बात करूं।’’ धोनी से संन्यास के बाद की योजनाओं के बारे में पूछा गया तो भारतीय सेना में मानद लेफ्टिनेंट कर्नल का पद पाने भारतीय कप्तान ने कहा, ‘‘मैं भारतीय सेना की जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर की सीमांत पोस्ट पर समय बिताना चाहूंगा। पिछली बार मैंने जम्मू कश्मीर की अग्रिम पोस्ट पर कुछ समय बिताया था लेकिन तब मेरे पास पर्याप्त समय नहीं था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं टीवी कमेंटेटर नहीं बन सकता। मैं आंकड़े याद नहीं रख पाता और तकनीकी से संबंधी मसलों पर भी मुझे दिक्कत होती है।’’ (एजेंसी)

First Published: Wednesday, March 20, 2013, 23:30

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