Last Updated: Saturday, March 2, 2013, 19:46

नई दिल्ली : भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत को बताया कि आईपीएल से जुड़े बोली मुद्दे पर आईपीएल के बख्रास्त आयुक्त ललित मोदी के खिलाफ जारी जांच में उनके साथ कोई अन्याय नहीं किया गया है और उन्होंने अभी तक अनुशासन समिति की प्रक्रिया को कोई चुनौती भी नहीं दी है।
बीसीसीआई ने यह बात बोर्ड, उसके अध्यक्ष एन श्रीनिवासन, अनुशासन समिमि के सदस्य अरुण जेटली, ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं अन्य के खिलाफ मोदी की ओर से दायर याचिका पर कही। याचिका में कहा गया था कि समिति का रुख उनके प्रति पक्षपातपूर्ण है और अभी तक सुनवाई निष्पक्ष एवं पारदर्शी तरीके से नहीं की गई है।
बीसीसीआई की ओर से उपस्थित होते हुए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रह्मण्यम ने कहा कि यह गंभीर आरोप है कि बोर्ड अनुशासन समिति के समक्ष सुनवाई की की प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है और अगर ऐसा है तो मोदी को जांच प्रक्रिया की न्यायिक समीक्षा करने की मांग करनी चाहिए थी।
सुब्रह्मण्यम ने अतिरिक्त जिला न्यायाधीश रूबी अल्का गुप्ता को बताया, ‘यह बोर्ड के खिलाफ गंभीर आरोप है। अगर किसी व्यक्ति के खिलाफ इस स्तर पर ऐसी ज्यादती होती है तो वह इसे चुनौती देगा लेकिन उन्होंने (मोदी) ऐसा नहीं किया।’
उन्होंने दलील दी कि अनुशासनात्मक समिति के समक्ष सुनवाई 2010 से जारी है और मोदी ने इसे चुनौती नहीं दी लेकिन ऐसी क्या बात है जिसने सुनवाई के महज दो दिन पहले ऐसा करने को प्रेरित किया।
मोदी के वकील अभिषेक सिंह ने हालांकि अपने मुव्वकिल के खिलाफ जेटली एवं सिंधिया की सदस्यता वाली समिति के समक्ष बीसीसीआई को सुनवाई करवाने से अंतरिम रोक लगाने की मांग की।
अदालत ने हालांकि मोदी को रोक का आदेश देने से इंकार करते हुए मामले की सुनवाई की अगली तारीख 11 मार्च निर्धारित कर दी।
अदालत ने बीसीसीआई और उसके अधिकारियों से मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर जवाब पेश करने को कहा।
अदालत ने 27 फरवरी को बीसीसीआई, उसके अध्यक्ष, उसके प्रशासक शशांक मनोहर के अलावा सिंधिया, जेटली और अनुशासनात्मक समिति के सदस्य चिरायु अमीन को सम्मन जारी किया। सिंधिया और मनोहर के अलावा प्रतिवादी पक्ष के सभी पक्षों को समन जारी किया जो अपने वकील के माध्यम से अदालत में उपस्थित हुए थे। (एजेंसी)
First Published: Saturday, March 2, 2013, 19:46