Last Updated: Friday, September 27, 2013, 18:49

नई दिल्ली : उच्च्तम न्यायालय ने एन. श्रीनिवासन को चेन्नई में भारतीय क्रिकेट बोर्ड की वार्षिक आम सभा की बैठक में बोर्ड का अध्यक्ष निर्वाचित होने की स्थिति में उन्हें यह पदभार ग्रहण करने से शुक्रवार को रोक दिया। वार्षिक आम सभा की बैठक 29 सितंबर को हो रही है। हालांकि कोर्ट ने उन्हें चुनाव लड़ने की अनुमति दे दी है।
न्यायमूर्ति एके पटनायक और न्यायमूर्ति जेएस खेहड़ की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘इस बीच, क्रिकेट बोर्ड की 29 सितंबर को प्रस्तावित वार्षिक आम सभा की बैठक होगी और इसमें चुनाव भी हो सकते हैं। यदि श्रीनिवासन अध्यक्ष पद के लिए निर्वाचित होते हैं तो वह अगले आदेश तक पदभार ग्रहण नहीं करेंगे।’ न्यायाधीशों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि आईपीएल स्पाट फिक्सिंग के सिलसिले में दामाद गुरुनाथ मयप्पन के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होने के बावजूद श्रीनिवासन बीसीसीआई के पद पर डटे हुए हैं।
न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि इस मामले का निबटारा होने तक वह बोर्ड के अध्यक्ष पद का कार्यभार ग्रहण नहीं करेंगे। इसके साथ ही न्यायाधीशों ने सवाल किया, ‘यदि दामाद पर आरोप पत्र दाखिल किया गया है तो फिर वह प्रभारी (बीसीसीआई के अध्यक्ष) क्यों बने हुए हैं? आप (श्रीनिवासन) निर्वाचित होने के लिए इतने उत्सुक क्यों हैं?’ सुनवाई के दौरान न्यायालय ने ऐसे समय में चुनाव कराने पर भी सवाल उठाया जब मामला शीर्ष अदालत में लंबित है।
न्यायाधीशों ने इस मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए निर्धारित करते हुए कहा, ‘हम किसी को नहीं जानते हैं। हम सिर्फ क्रिकेट को जानते हैं। हम सिर्फ बीसीसीआई को जानते हैं। न्यायालय ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार की अर्जी पर सुनवाई के दौरान यह अंतरिम आदेश दिया। यह संगठन चाहता था कि वार्षिक आम सभा की बैठक में श्रीनिवासन को अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने से रोका जाए।
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार चाहती है कि बीसीसीआई को निर्देश दिया जाये कि शीर्ष अदालत में विवाद का निबटारा होने तक श्रीनिवासन को किसी भी समिति में शामिल नहीं किया जाये। शीर्ष अदालत ने इससे पहले बंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार और बीसीसीआई की अपील पर अक्तूबर में सुनवाई करने का निश्चय किया था।
उच्च न्यायालय ने स्पाट फिक्सिंग प्रकरण की जांच के लिये बोर्ड द्वारा गठित जांच दल को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। न्यायालय ने उच्च न्यायालय द्वारा इस प्रकरण की जांच के लिये नयी समिति के गठन से इंकार करने के आदेश के खिलाफ 30 अगस्त को क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा की याचिका पर सुनवाई की थी।
न्यायालय ने बीसीसीआई, श्रीनिवासन, उनकी कंपनी इंडिया सीमेन्ट्स, जो आईपीएल टीम चेन्नई सुपर किंग्स की मालिक है, और राजस्थान रायल्स को नोटिस भी जारी किये थे। शीर्ष अदालत ने बीसीसीआई की अपील पर सुनवाई के दौरान सात अगस्त को उच्च न्यायालय के 30 जुलाई के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने से इंकार कर दिया था जिसकी वजह से बोर्ड के मुखिया के पद पर श्रीनिवासन के लौटने की उम्मीदों पर पानी फिर गया था।
बोर्ड और आईपीएल गवर्निंग काउन्सिल ने मैचों में सट्टेबाजी और फिक्सिंग का मामला सामने आने पर मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश टी. जयराम चौता और न्यायमूर्ति आर बालासुब्रमण्यम की सदस्यता वाला दो सदस्यीय जांच दल गठित किया था। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 27, 2013, 18:49