Last Updated: Wednesday, November 28, 2012, 19:38

नई दिल्ली : पूर्व भारतीय क्रिकेटर और स्टार क्रिकेट पर हिन्दी कमेंटेटर के रूप में नयी पारी की शुरुआत करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू ने बदलाव के दौर से गुजर रही भारतीय टीम के लिये सचिन तेंदुलकर की भूमिका बेहद अहम करार देते हुए आज यहां कहा कि मास्टर ब्लास्टर के पास बल्ला है सुदर्शन चक्र नहीं जिसे ‘हर समय कामयाबी मिले।’
तेंदुलकर पिछली दस पारियों में केवल 153 रन बना पाये हैं जिससे यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या उन्हें टीम में बने रहना चाहिए। सिद्धू ने हालांकि तेंदुलकर की आलोचनाओं को सिरे खारिज कर दिया कि और कहा कि वर्तमान दौर में देश उनके संन्यास के बारे में सोच भी नहीं सकता। सिद्धू ने कहा, हमारे पास मध्यक्रम वीवीएस लक्ष्मण, राहुल द्रविड़ और सौरव गांगुली नहीं हैं। हमें अनुभव की सख्त जरूरत है और जब तक हमें कोई विकल्प नहीं मिलता है तब तक तेंदुलकर के संन्यास के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। तेंदुलकर के लगातार असफल रहने के सवाल पर सिद्धू ने कहा, सचिन भगवान नहीं है, वह भी इंसान है। उनके पास सुदर्शन चक्र नहीं बल्ला है और बल्ला कभी-कभी चूकता भी है। जब उनकी आलोचना होती है तो दुख होता है क्योंकि सचिन शख्सियत नहीं संस्था हैं। वह कोहिनूर हैं और उन्हें कांच नहीं बनाया जा सकता। हीरा हमेशा हीरा रहेगा और मुझे पूरी उम्मीद है कि अगले दो मैचों में वह वापसी करेंगे।
भारत की तरफ से 51 टेस्ट और 136 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके सिद्धू का मानना है इंग्लैंड के खिलाफ वर्तमान श्रृंखला में टर्निंग विकेट के अलावा कोई और विकल्प नहीं है लेकिन उन्हें लगता है कि भारतीय टीम में एक लेग स्पिनर होना जरूरी है। उन्होंने कहा, हम यहां तेज या सपाट विकेट नहीं बना सकते। इसलिए हमारे पास टर्निंग विकेट बनाने के लिये अलावा कोई विकल्प नहीं है। इतना जरूर है कि टीम लेग स्पिनर रखना जरूरी था। इतिहास भी गवाह है कि इंग्लैंड के बल्लेबाज शिवरामाकृष्णन, शेन वार्न, अनिल कुंबले, अमित मिश्रा जैसे लेग स्पिनरों के सामने परेशानी में रहे। सिद्धू ने इसके साथ ही खुलासा किया कि उनकी चयनसमिति के अध्यक्ष संदीप पाटिल से भी इस बारे में बात हुई थी। उनके अनुसार मिश्रा और पीयूष चावला अभी चोटों से उबरे हैं और इसलिए उनके नाम पर विचार नहीं किया गया। उन्होंने कहा, मैंने संदीप भाई से बात की थी। उन्होंने बताया कि अमित और चावला अभी चोट से उबर रहे हैं। मतलब ये है कि चयनसमिति चाहती है कि वे चोट से उबरने के बाद कम से दो-तीन मैच खेल ले।
भारत में पहली बार स्टार क्रिकेट पर हिन्दी कमेंट्री शुरू होने के बारे में सिद्धू ने कहा, स्टार क्रिकेट ने इतिहास बनाया है। यह इतिहास में दर्ज होगा क्योंकि इस देश में 90 प्रतिशत लोग यह चाहते हैं। हिन्दी मेहमान नहीं हिन्दी मां है। अंग्रेजी मेहमान है और मां का दर्जा मेहमान नहीं ले सकता। इसलिए हिन्दी कमेंट्री शुरू होने के बाद लोग काफी उत्साहित हैं। बचपन से हिन्दी का समाचार पत्र पढ़ने का दावा करने वाले सिद्धू ने कमेंट्री में शुरुआत अंग्रेजी कमेंटेटर के तौर पर की थी। हिन्दी कमेंटेटर के रूप में नयी पारी शुरू करने के बारे में उन्होंने कहा, आवाजे खुदा नगाड़ाय खुदा यानि जनता की आवाज में परमात्मा की आवाज है। मैं 90 प्रतिशत लोगों का हिस्सा बनना चाहता हूं। मैं आम आदमी को खास बनाना चाहता हूं। आम आदमी के साथ अलख जगाना चाहता हूं। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 28, 2012, 17:51