Last Updated: Monday, February 20, 2012, 11:03
ब्रिसबेन : कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की सीनियर खिलाड़ी जैसे सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और गंभीर की सार्वजनिक रूप से आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रियायें आ रही हैं और इसे टीम के अंदर सुलगते अंसतोष के संकेत के रूप में देखा जा सकता है।
धोनी का तर्क यह था कि सीनियर खिलाड़ियों खराब क्षेत्ररक्षक नहीं हैं लेकिन आस्ट्रेलिया के बड़े मैदानों पर वे ‘थोड़े धीमे’ हैं, जिसका मतलब विपक्षी टीम को 20 अतिरिक्त रन देना है।
ब्रिसबेन वनडे हारने के बाद धोनी ने रहा था कि रोटेशन नीति सही है और इसी तहत तीनों टॉप खिलड़ियों को एक साथ नहीं खेलने दे रहे। वो जल्द घक जाते हैं और फीलिडिंग में धीमे हैं।
तेंदुलकर भले ही 39 वर्ष के हों लेकिन वह स्लिप में अच्छे क्षेत्ररक्षक हैं और मैदान में किसी भी जगह से शानदार थ्रो करते हैं जबकि गंभीर अपने कप्तान जितने 30 वर्ष की उम्र के हैं, वह भी मैदान में कहीं भी अच्छे कैच लपकते हैं । केवल सहवाग का क्षेत्ररक्षण इतना चुस्त दुरूस्त नहीं है।
अच्छे क्षेत्ररक्षण और मौजूदा वनडे श्रृंखला में दो बार 90 से ज्यादा रन का स्कोर बनाने के बावजूद गंभीर का रोटेशन प्रणाली में शामिल होना जबकि सुरेश रैना और रोहित शर्मा के लगातार असफल होने के बाद भी टीम में रहना ‘ड्रेसिंग रूम’ में उभरते मतभेदों की अटकलों को जन्म दे रहा है। (एजेंसी)
First Published: Monday, February 20, 2012, 16:33