Last Updated: Wednesday, September 25, 2013, 15:28

नई दिल्ली : क्रिकेट बोर्ड की विशेष आम सभा की बैठक इंडियन प्रीमियर लीग के पूर्व आयुक्त ललित मोदी की कथित वित्तीय अनियमित्ताओं पर अनुशासन समिति की रिपोर्ट पर विचार स्थगित कराने की उनकी अंतिम उम्मीद भी आज उस समय खत्म हो गयी जब उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एच एल गोखले और न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर की खंडपीठ ने ललित मोदी से कहा कि उन्हें विशेष आम सभा के समक्ष उपस्थित होकर सारे आरोपों के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए।
न्यायाधीशों ने कहा कि जिस किसी भी व्यक्ति को नोटिस दिया गया हो उसे जाकर स्पष्टीकरण देना चाहिए। आपको आरोप मुक्त किया जा सकता है या फिर हल्का दंड दिया जा सकता है। कुछ भी हो सकता है। आप बैठक में जाइये और स्पष्टीकरण दीजिये। न्यायाधीशों ने कहा कि यह सोसायटी की अंदरूनी व्यवस्था है और हम इसमें हस्तक्षेप नहीं कर सकते हैं। यह पूरी तरह से अंदरूनी व्यवस्था का मसला है।
ललित मोदी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि यह बैठक आहूत करना ही गैरकानूनी है क्योंकि इसे सिर्फ अध्यक्ष ही बुला सकते हैं और इस समय वहां कोई अध्ध्यक्ष नहीं है। न्यायाधीश इन दलीलों से संतुष्ट नहीं हुये और उन्होंने मोदी की अर्जी खारिज कर दी।
न्यायाधीशों ने कहा कि इसमें बड़े नाम और बहुत अधिक धन शामिल होने के आधार पर न्यायलय को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि यदि उनके खिलाफ इस बैठक में कोई फैसला किया जाता है तो वह उसे उचित मंच पर चुनौती दे सकते हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कल बीसीसीआई को बैठक बुलाने की अनुमति दिये जाने के बाद ललित मोदी ने शीर्ष अदालत की शरण ली थी। ललित मोदी पर बोर्ड से आजीवन प्रतिबंध की तलवार लटकी हुयी है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 25, 2013, 15:28