Last Updated: Tuesday, November 27, 2012, 23:32

नई दिल्ली : लंदन और उससे पहले बीजिंग लगातार दो ओलम्पिक खेलों में पहलवान सुशील कुमार को पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले और द्रोणाचार्य पुरस्कार तथा फीला से सर्वश्रेष्ठ कोच का सम्मान पाने वाले उसके गुरू यशवीर की जोड़ी टूट गयी है।
भारतीय कुश्ती महासंघ ने सोनीपत में शुरू हुए कुश्ती शिविर के लिये भेजे गये कोचों में यशवीर सिंह का नाम नहीं भेजा है । यशवीर सिंह दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग (खेल) में शारीरिक प्रशिक्षक के पद पर नियुक्त हैं और हाल तक वे छत्रसाल कुश्ती स्टेडियम पर पहलवानों को कोचिंग दे रहे थे लेकिन अब उनका स्थानांतरण बवाना कर दिया है । स्टेडियम का प्रशासन यशवीर का उपयोग उदीयमान पहलवानों को ट्रेनिंग देने के लिये करना चाहते हैं ।
छत्रसाल स्टेडियम के सूत्रों के अनुसार कोच का स्थानांतरण होना कोई नयी बात नहीं है । यशवीर को युवा पहलवानों को कुश्ती सिखाने की जिम्मेदारी दी गयी है । कोई भी लगातार किसी के साथ नहीं रह सकता ।
गौरतलब है कि लंदन 2012 और बीजिंग (2008) दोनों ओलम्पिक खेलों के दौरान जब सुशील कुमार ने कुश्ती में ओलम्पिक पदक जीते थे तो कोच यशवीर साये की तरह उसके साथ रहा था।
भारतीय कुश्ती संघ के सूत्रों के अनुसार छत्रसाल स्टेडियम इस बार यशवीर को शिविर में भेजने का इच्छुक नहीं था। अगर चयन समिति यशवीर का चुनाव राष्ट्रीय शिविर के लिये कर भी लेती तो उसको नहीं भेजा सकता था क्योंकि वह (यशवीर) बवाना जा चुका है। यशवीर से इस बारे में पूछने पर उन्होंने बताया, मुझे जहां भेजा जाएगा म चला जाउंगा । भारतीय कुश्ती महासंघ से इस बारे में मुझे कोई सूचना नहीं मिली है। मेरे विभाग ने मुझे बवाना भेजा है और मै यहां आ गया हूं।
भारतीय कुश्ती महासंघ की चयनसमिति ही राष्ट्रीय शिविर और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लिये देश की टीम चुनने के लिये जिम्मेदार होती है जिसमें आमतौर पर सरकार की ओर से एक पर्यवेक्षक भी मौजूद रहता है ।
कुश्ती के लिये सरकार के पर्यवेक्षक और पूर्व अंतरराष्ट्रीय पहलवान नरेश कुमार से पूछने पर कि फीला पुरस्कृत और द्रोणाचार्य हासिल करने वाले यशवीर को राष्ट्रीय कुश्ती शिविर के लिये क्यों नहीं चुना गया, उन्होंने कहा, मुझे चयन समिति की बैठक के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 27, 2012, 17:08