Last Updated: Thursday, February 7, 2013, 15:25

नई दिल्ली : अखिल भारतीय टेनिस महासंघ (एआईटीए) ने आज बागी खिलाड़ियों की ताजा मांगें खारिज करते हुए कहा कि जब तक वे चुनावों के जरिए राष्ट्रीय महासंघ का हिस्सा नहीं बनते, तब तक उन्हें कार्यकारी या चयन समितियों में शामिल नहीं किया जा सकता।
एआईटीए ने साफ तौर पर कहा कि मौजूदा संकट से निपटने के लिए उसके द्वारा बनाई गई तीन सदस्यीय समिति अपना काम करती रहेगी और यदि खिलाड़ी खुद को उपलब्ध बताते हैं तो चयन के लिए उनके नाम पर विचार किया जाएगा। खिलाड़ियों की बगावत की अगुवाई करने वाले सोमदेव देववर्मन ने राष्ट्रीय महासंघ से कार्यकारी और चयन समितियों के पुनर्गठन की मांग करते हुए दोनों में खिलाड़ियों को 50 प्रतिशत प्रतिनिधित्व देने की मांग की थी।
एआईटीए ने खिलाड़ियों की पिछली मांगों में से अधिकांश मान ली जिनमें डेविड कप की ईनामी राशि, बिजनेस क्लास का हवाई किराया, सहयोगी स्टाफ में बदलाव शामिल था। एआईटीए के सीईओ हिरण्यमय चटर्जी ने कोलकाता से कहा, ‘हम ईमानदारी से मसले का हल निकालना चाहते हैं लेकिन खिलाड़ी मानने को राजी ही नहीं। कुछ लोग बाहर से ओछी राजनीति कर रहे हैं जिससे कई खिलाड़ियों का भविष्य दाव पर लग गया है।’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें इस बारे में पता नहीं है कि महासंघ का गठन कैसे होता है और वह कैसे काम करता है। यदि वे एआईटीए का हिस्सा बनना चाहते हैं तो पहले उन्हें राज्य संघ से चयनित होना होगा जो उन्हें राष्ट्रीय महासंघ के लिये नामित करेगा।’ उन्होंने कहा, ‘ये लोग युवा खिलाड़ियों के करियर को बर्बाद कर रहे हैं।’ चटर्जी ने कहा कि यदि वे खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व चाहते हैं तो वह भी संभव नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘हम आईओसी चार्टर, सरकार की खेल आचार संहिता और आईटीएफ तथा एआईटीए के संविधान का पालन कर रहे हैं। इसके आधार पर उनकी मांगें किसी भी सूरत में पूरी नहीं की जा सकती क्योंकि संविधान इसकी इजाजत नहीं देता।’ चटर्जी ने कहा कि एआईटीए ने सोमदेव को लिखकर सुझाव मांगे हैं कि इंडोनेशिया के खिलाफ अप्रैल में होने वाले मुकाबले कहां आयोजित किए जाएं। (एजेंसी)
First Published: Thursday, February 7, 2013, 15:25