BCCI का जांच पैनल आंख में धूल झोंकने के लिए था: लेले--BCCI`s internal enquiry panel was an eyewash: Lele

BCCI का जांच पैनल आंख में धूल झोंकने के लिए था: लेले

BCCI का जांच पैनल आंख में धूल झोंकने के लिए था: लेलेनई दिल्ली : बीसीसीआई के पूर्व सचिव जयवंत लेले ने बंबई उच्च न्यायालय के आदेश की सराहना करते हुए आज कहा कि भारतीय क्रिकेट बोर्ड का आंतरिक जांच पैनल ‘आंख में धूल झोंकने’ के लिए था। बंबई उच्च न्यायालय ने आईपीएल टूर्नामेंट में स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी के आरोपों की जांच के लिए बीसीसीआई द्वारा गठित दो सदस्यीय जांच पैनल को आज ‘गैरकानूनी और असंवैधानिक’ करार दिया।

लेले ने संवाददाताओं से कहा, बंबई उच्च न्यायालय ने बिलकुल सही फैसला किया है। मेरे लिए भी यह (बीसीसीआई की आंतरिक जांच) आंख में धूल झोंकने वाली थी। दो सदस्यीय पैनल में नियुक्त न्यायाधीश एन श्रीनिवासन के लोग थे। उन्होंने कहा, ऐसा कैसे हो सकता है कि कार्य समिति की बैठक के दौरान सुबह रिपोर्ट सौंपी जाए और शाम को दो लोगों (एन श्रीनिवासन के दामाद और चेन्नई सुपरकिंग्स के टीम प्रिंसिपल गुरूनाथ मयप्पन और राजस्थान रॉयल्स के सह मालिक राज कुंद्रा) को आरोप मुक्त कर दिया जाए। यह कुछ और नहीं सिर्फ धोखाधड़ी है। उन्होंने कहा, हमें तब तक इंतजार करना होगा जब तक अदालत की कार्रवाई पूरी नहीं हो जाती। समय आने पर नतीजा सामने आ जाएगा।

अदालत का यह आदेश जांच समिति के अपनी रिपोर्ट सौंपने के दो दिन के बाद आया है। जांच समिति ने 28 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए श्रीनिवासन, मयप्पन और कुंद्रा को क्लीन चिट दे दी थी। लेले ने कहा कि मयप्पन ने जैसे ही आईपीएल मैचों में सट्टेबाजी की बात स्वीकारी वैसे ही फ्रेंचाइजी ने आईपीएल में रहने का अधिकार खो दिया था।

उन्होंने कहा, बोर्ड का संविधान स्पष्ट तौर पर कहता है कि अगर फ्रेंचाइजी मालिक का कोई करीबी रिश्तेदार किसी कदाचार में शामिल पाया जाता है तो उसको इसमें रहने का कोई अधिकार नहीं है। मयप्पन ने जैसे ही पुलिस के सामने सट्टेबाजी की बात स्वीकारी, श्रीनिवासन का कार्यकाल समाप्त हो गया था। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, July 30, 2013, 19:02

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