Last Updated: Tuesday, October 11, 2011, 12:11
इन्द्रमोहन कुमारअभिताभ आज बॉलीवुड में वो नाम बन गए हैं जिसे हर कोई अपने साथ जोड़ना चाहता है। कभी फिल्मी दुनिया के शाहंशाह और बादशाह की जंग में सुर्खियां बने सबसे महंगी फिल्म के अभिनेता शाहरुख भी अपनी फिल्म में अमिताभ बच्चन की आवाज को भुनाने से नहीं चूक रहे। भारत के बाहर भी वो उतने ही चर्चित हैं, जितना अन्य कोई और।
11 अक्टूबर को अपना 69वां जन्मदिवस मना रहे अमिताभ बच्चन की उप्लब्धियां इतनी है कि जिसे अब आसानी से गिना भी नहीं जा सकता। जितना नाम और पैसा उन्होंने अपने जवानी के दिनों में नहीं कमाए उससे ज्यादा शोहरत अब अर्जित कर रहे हैं। ऐसा कम ही देखने को मिलता है कि लोग युवावस्था से ज्यादा आगे के जीवन में नाम और दाम पाए। अमिताभ उम्र के इस पड़ाव पर भी खुद को जवां महसूस करते हैं। अपने समय के लगभग सभी कलाकारों और निर्देशकों के साथ काम कर चुके अमिताभ कहते हैं कि जन्मदिन मनाने का सबसे बढ़िया तरीका यह है कि आप उस काम में व्यस्त रहें जहां आपकी जरूरत है। मैं जन्मदिन के मौके पर भी व्यस्त रहता हूं क्योंकि मैं काम करना चाहता हूं।
अमिताभ उन लोगों के बारे में ज्यादा सोचते हैं जो उनकी उम्र में पहुंचकर हताशा महसूस करने लगते हैं। ऐसे लोगों के लिए अमिताभ कहते हैं कि यह समय को जीतने और पहचाने जाने की भूख है। मुझे लगता है कि हमें विश्व को उसी रूप में देखना चाहिए जैसा वह है और उसे अपनी इच्छा के अनुरूप अपनी शक्ल अख्तियार करने का अवसर देना चाहिए।
आज अमिताभ जो कहते या लिखते हैं, लोग उसका अनुसरण करते हैं। उनकी एक आवाज पर लोग झूम जाते हैं। 40 साल के फिल्मी सफर में वो ऐसे अभिनेता के रूप में उभरे हैं जो अपने बल पर किसी फिल्म को हिट कराने का माद्दा रखते हैं। मगर एक समय ऐसा भी था जब न उनकी आवाज, न उनकी शैली और न उनकी फिल्में चल रहीं थी। लग रहा था जैसे किस्मत उनसे रुठ गई हो। राजीव गांधी के मित्र होने के नाते 1977 में उन्होंने इलाहाबाद सीट से लोकसभा का चुनाव भी जीता लेकिन यह राजनीतिक सफर ज्यादा दिनों तक नहीं चला और तीन साल में ही उन्होंने यह पद त्याग दिया।

जीवन में संघर्ष से हार नहीं मानने वाले अमिताभ ने फिर वापसी की और छोटे पर्दे के गेम शो ‘कौन बनेगा करोड़पति' से लोगों के दिलो दिमाग व घर-घर में छा गए। एक समय उन्हें अपना घर तक गिरवी रखने की खबर आई थी। लोग कहने लगे थे कि अब बच्चन के दिन खत्म हो गए हैं। मगर किस्मत का खेल देखिए कि उन्हीं लोगों ने फिर से अमिताभ को सर-आंखों पर बिठा लिया।
आज वो कहां हैं यह किसी से पूछने की जरूरत नहीं। अपनी अभिनय प्रतिभा के दम पर वो आज भी अवसर और धन पा रहे हैं। विज्ञापन से लेकर समाज सेवा तक वो छाए हुए हैं। फिल्म उद्योग में अनेक ऐसे लोग हैं, जो उजागर और न उजागर होने वाले कारणों से एक व्यक्ति के रूप में अमिताभ बच्चन का सम्मान नहीं करते, परंतु वे लोग भी स्वीकार करते हैं कि वह विलक्षण कलाकार हैं। छोटे से विज्ञापन फिल्मों में भी उनकी कुशलता देखी जा सकती है। वह कई बार बीमारियों से पीड़ित रहे हैं परंतु अपनी इच्छाशक्ति, अनुशासन अैर परिश्रम से अपना काम करते जा रहे हैं। अपने पिता हरिवंश राय बच्चन और मात माता तेजी बच्चन के चरण छुए बिना वो किसी दिन घर से बाहर नहीं जाते थे। उनकी मां भगवान हनुमान जी की परम भक्त रही हैं। यही कारण है कि हाल ही में उन्होंने इस चालीसा को अपना स्वर दिया है।
पुरस्कारों की बात तो अमिताभ बच्चन के सामने छोटी लगती हैं। उनको तीन राष्ट्रीय फिल्म और बारह फिल्म फेयर पुरस्कार मिल चुका है। उनके नाम सर्वाधिक फिल्मफेयर अवार्ड का रिकार्ड भी है। अभिनय के अलावा बच्चन ने
पार्श्वगायक,
फिल्म निर्माता के रूप में भी हाथ आजमाया है।
अमिताभ ने दो बार इलाहाबाद से एमए की उपाधि ग्रहण की है। नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में पढ़ाई की और आगे के अध्ययन लिए
दिल्ली विश्वविद्यालय के
किरोड़ीमल कॉलेज भी गए जहां विज्ञान स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
यह साल उनके लिए इसलिए भी खास है क्योंकि वो दादा बनने वाले हैं. इस शुभ दिन पर हम सब की दुआ एकसाथ।
First Published: Friday, October 14, 2011, 16:29