Last Updated: Tuesday, September 20, 2011, 07:03
प्रवीण कुमारगुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को इस बात का अभिमान है कि उन्होंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया है. 17 सितंबर को जब मोदी ने भव्य सद्भावना उपवास शुरू किया तो उनका यह अभिमान डगमगाने लगा था. इसलिए कि लोग क्या कहेंगे. फिर मोदी ने उपवास मंच से अपने संबोधन में उपवास के समर्थन में सफाई पेश की. मोदी के शब्द पर गौर करिए, "मैं जिन संस्कारों में पला हूं उनके कारण मैंने कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाया. पहले तो लोगों को पता नहीं था कि मेरा जन्मदिन क्या है. अब जब से लोगों को पता चला है तो साल में सिर्फ एक ही यह दिन 17 सितंबर होता है जब मैं अपना फोन नहीं उठाता हूं. मैं कभी अपना जन्मदिन नहीं मनाता हूं. मेरे लिए यह अनूकूल समय था इसलिए मैंने यह कालखंड चुना है इसका मेरे जन्मदिन से कोई लेना-देना नहीं है."
मोदी के उक्त संबोधन के शब्दों पर गौर करें तो आप शायद मानने को विवश होंगे कि इसका उपवास से कोई लेना-देना नहीं था, सिवाय आत्म प्रचार के. आगे बढ़ने से पहले हम यह जानने की कोशिश करते हैं कि उपवास क्या होता है? मानव शरीर में पांच इंद्रियां होती हैं. जब व्यक्ति को लगता है कि इन पांचों इंद्रियों में असंतुलन पैदा हो रहा है तो उसमें संतुलन बनाने के लिए उपवास का प्रयोग करता है. मन, कर्म और वचन से व्यक्ति कमजोर होने लगता है तो उपवास कर उसे मजबूत करता है. महात्मा गांधी उपवास को हमेशा एक हथियार के रूप में प्रयोग करते थे, जो नि:स्वार्थ होता था. और फिर उपवास को एकांत चाहिए, उपवास को सहज और सरल होना चाहिए.
मोदी का उपवास इससे बिल्कुल उलट था. इसे उपवास का उपहास कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए. मेरी दृष्टि में मोदी का उपवास जनउपहास है. वो इसलिए कि तीन दिनों के इस सद्भावना उपवास में 60 करोड़ से अधिक का खर्च बैठा है. उपवास के खर्च पर नज़र रखने वाले बताते हैं कि जिस हॉल में यह उपवास आयोजित किया गया था उसका किराया पांच लाख रुपये प्रतिदिन है. कहा जा रहा है कि विवि प्रशासन ने मोदी से तीन दिनों के लिए सिर्फ तीन रुपये यानी एक रुपये प्रतिदिन का किराया ही लिया. मतलब, विवि प्रशासन ने मोदी की खातिर 14 लाख 99 हजार 997 रुपये का राजस्व का नुकसान सहा.
गुजरात यूनिविर्सिटी के हॉल में भारी सुरक्षा इंतजामों पर भी नज़र डालना जरूरी होगा. 10 से 12 हजार पुलिसकर्मी, 4 त्वरित कार्रवाई दल, 2 चेतक कमांडो टीम, 9 एसआरपीएफ कमांडो, 10 आईपीएस अधिकारी, एसपी स्तर के 20 अधिकारी सद्भावना उपवास स्थल पर बैठे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में तैनात किये गए थे. इसके अलावा 50 सीसीटीवी कैमरे, 35 छोटे कैमरे, ग्राउंड में 10 वॉच टावर, 2000 कार पार्किंग वीआईपी के लिए, दो से चार हजार कारें, आठ से 10 हजार बाइक और 1500 भारी वाहन जीएमडीसी ग्राउंड में बनाए गए थे. मेडिकल टीम में 10-15 फिजिशियन, एनेसेथेसिस्ट, कार्डियोलॉजिस्ट, टेक्नीशियन, मोबाइल आईसीयू चौबीसों घंटे तैनात. 10 प्लाज्मा टीवी, पांच एलईडी टीवी और कई बड़ी स्क्रीन ताकि नरेंद्र मोदी लोगों को करीब से दिखाई देते रहें.
हॉल के अंदर तीन कैमरे लगाए गए. इनमें मोदी और मंच पर मौजूद दिग्गजों की तस्वीरें कैद होती रहीं. इतना कुछ जान लेने के बाद उपवास पर कुल जमा खर्च का हिसाब लगाने की शायद जरूरी नहीं और यह कहने में भी कोई गुरेज नहीं कि यह सारा खर्च जनता की जमा पूंजी से किया गया है. जनता के पैसे से अगर मोदी अपनी गलती के लिए प्रायश्चित कार्यक्रम आयोजित करते हैं, या फिर देश की जनता से देश सेवा का समर्थन हासिल करना चाहते हैं तो जनता का इससे बड़ा उपहास और कुछ नहीं हो सकता है.
First Published: Tuesday, September 20, 2011, 13:24