Last Updated: Friday, September 6, 2013, 14:34
विशाल एंग्रीश नशे की तस्करी के खिलाफ पंजाब सरकार ने व्यापक अभियान छेड़ा है और इसके बेहतर नतीजे भी सामने आए हैं। राज्य में छह महीनों के दौरान तकरीबन 6000 तस्करों को गिरफ्तार किया गया है। और एक महीने के अंदर-अंदर पंजाब में नशे के सौदागरों पर पूरी तरह से नकेल कस दी जाएगी। यह बात पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने ज़ी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल से एक्सक्लूसिव बातचीत में कही।
सुखबीर ने प्रदेश सरकार की नशे की तस्करी के खिलाफ जारी मुहिम का खुलासा करते हुए कहा कि अगर राज्य पुलिस का कोई भी मुलाज़िम तस्करों की मदद करता पाया गया तो उसे तुरंत प्रभाव से नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी तरह की राजनीतिक दखलअंदाज़ी ऐसे मामलों में बर्दाश्त नहीं होगी। प्रदेश में प्रतिबंधित नशीली दवाइयों के कारोबार पर पूरी तरह से लगाम लगाने के लिए एक विशेष योजना राज्य सरकार ने तैयार की है, जिसके परिणाम शीघ्र ही सामने आएंगे।
ज़ी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल चैनल के दर्शकों से उप मुख्यमंत्री ने अपील की कि नशे की तस्करी करने वाले किसी भी शख्स के बारे में वे पुलिस को सूचना दें ताकि प्रदेश को नशा मुक्त किया जा सके। सुखबीर बादल का कहना था कि पंजाब में नशा पाकिस्तान से आता है और ऐसे में सरहद पार से हो रही नशे की तस्करी पर लगाम लगाना केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है। लेकिन केंद्र सरकार से उन्हें अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा।
सूबे के आर्थिक हालात के बारे में बातचीत करते हुए उप मुख्यमंत्री ने आतंक के काले दौर को पंजाब के कर्ज़े की बड़ी वजह माना। उन्होंने कहा कि उस वक्त में पंजाब में तैनात सुरक्षा बलों के तमाम खर्चे का बोझ केंद्र ने राज्य सरकार के खज़ाने पर डाल दिया गया। ये रकम 15 हजार करोड़ से ज़्यादा थी और इस पर लगातार ब्याज़ भी बढ़ता गया। सुखबीर बादल ने कहा कि जिस आतंक को पाकिस्तान ने शुरू किया था उसके खिलाफ लड़ाई अकेले पंजाब की ना होकर पूरे देश की लड़ाई थी। ये अकेले पंजाब का मसला नहीं था इसीलिए केंद्र सरकार को एक बड़े कर्ज़ में तब्दील हो चुके इस खर्च को खुद वहन करना चाहिए।
(लेखक ज़ी पंजाब/हरियाणा/हिमाचल के विशेष संवाददाता हैं)
First Published: Friday, September 6, 2013, 14:34