गजल का स्वर्णिम युग समाप्त

गजल का स्वर्णिम युग समाप्त

गजल का स्वर्णिम युग समाप्तप्रख्यात गजल गायक मेहदी हसन की गजल `गुलों में रंग भरे` उनकी पहली ऐसी गजल थी, जिसने उन्हें अपार लोकप्रियता दिलाई। इस गजल के साथ ही उन्होंने गजल प्रेमियों के दिलों में अपने लिए खास जगह बना ली। लगभग पांच दशकों तक गजल गायकी करते रहे हसन ने `पत्ता पत्ता बूटा बूटा`, `अबके बिछड़े ख्वाबों में मिलें` सहित कई उम्दा गजलें दीं। हसन का जन्म अविभाजित भारत में 1927 में हुआ था। उनकी भारत आकर अपनी सरजमीं पर जाने की ख्हाविश अधूरी ही रह गई।

बुधवार को कराची के एक अस्पताल में लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। उनकी गजलों ने उर्दू शायरी को पाकिस्तानी व भारतीय घरों में लोकप्रिय बना दिया था। उनके बेटे आरिफ के मुताबिक हसन ने 20,000 से ज्यादा गीतों-गजलों में अपनी आवाज दी। उन्होंने उर्दू के अलावा बांग्ला, पंजाबी और पश्तो भाषा के नग्मों में भी अपनी आवाज दी। उनकी कुछ लोकप्रिय गजलों में `जिंदगी में सभी प्यार किया करते हैं` (कतील शिफई), `देख तू दिल की जां से उठा है` (मीर), `शोला था जल बुझा हूं`, `ये मोजेजा भी मोहब्बत दिखाए मुझे` (कतील शिफई), `अबके बिछड़े ख्वाबों में मिलें` (अहमद फराज), `बात करनी मुझे मुश्किल` (बहादुर शाह जफर), `उज्र आने में भी है` (दाग देहलवी) शामिल हैं।

लुना गांव के कलावंत संगीतकारों के परिवार में उनका जन्म हुआ था। लुना गांव अब भारतीय राज्य राजस्थान में है। उनके पिता उस्ताद अजीम खान व उस्ताद इस्माइल खान ध्रुपद गायक थे। विभाजन के बाद गरीबी से जूझ रहा उनका परिवार पाकिस्तान जाकर बस गया था। उन्होंने अपने शुरुआती जीवन में एक साइकिल की दुकान पर काम किया है। बाद में वह एक ऑटो-मैकेनिक बन गए थे।

पाकिस्तानी लेखक आसिफ नूरानी ने अपनी किताब `मेहदी हसन: द मैन एंड द म्यूजिक` ने हसन की जिंदगी के इन पहलुओं को उभारा है। उनकी महानता और प्रसिद्धि के बरक्स उनकी विनम्रता काफी ऊंची थी।

रानी ने लिखा है कि उन्होंने अपनी युवावस्था में ऑटोमोबाइल्स सुधारने का काम कर अपना जीविकोपार्जन किया था। उनकी प्रसिद्धि के दिनों में एक बार उनका हारमोनियम टूट गया था और उन्होंने खुद ही उसे दुरुस्त किया था। उन्हें सबसे पहले 1957 में रेडियो पाकिस्तान पर ठुमरी गायक के तौर पर आमंत्रित किया गया था। बाद में उन्हें बतौर गजल गायक बुलाया गया।

हसन की गायन शैली ध्रुपद, खयाल व राजस्थानी लोक संगीत का मिलाजुला रूप थी। उनके प्रशंसकों में स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर भी शामिल हैं। लता ने एक बार उनके बारे में कहा था, "उनकी आवाज ईश्वर की आवाज है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भी उनके बहुत बड़े प्रशंसक थे। अक्टूबर 2010 में लता व हसन ने `सरहदें` एलबम के लिए `तेरा मिलना` गजल पर साथ में काम किया था। यह दोनों की साथ में पहली व अंतिम गजल थी।

साल 1978 में जब वाजपेयी विदेश मंत्री थे तब हसन ने उनके आवास पर प्रस्तुति दी थी। उनके गृह देश पाकिस्तान में उन्हें तमगा-ए-इम्तियाज, प्राइड ऑफ परफॉर्मेस और हिलाल-ए-इम्तियाज जैसे खिताब दिए गए। नेपाल सरकार ने भी उन्हें गोरखा दक्षिण बाहू सम्मान दिया। हसन ने दो विवाह किए। उनके नौ बेटे व पांच बेटियां हैं। उनकी दोनों पत्नियों का पहले ही निधन हो चुका है।

First Published: Friday, June 15, 2012, 15:10

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