`नेपाल की जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगे`

`नेपाल की जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगे`

`नेपाल की जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगे`शेरबहादुर देउवा नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं। भारत और पड़ोसी देश के बीच रिश्तों पर खास बातचीत के दौरान देउवा ने दावा किया कि चीन नेपाल को भारत के खिलाफ नहीं भड़काता है। ज़ी रीजनल चैनल्स (हिंदी) के संपादक वासिंद्र मिश्र ने इस बार `सियासत की बात` नामक कार्यक्रम में शेरबहादुर देउवा से विशेष बातचीत की। पेश हैं उसके मुख्‍य अंश:-

वासिंद्र मिश्र: नमस्कार, आज के इस खास कार्यक्रम में स्वागत है। आज हमारे खास मेहमान हैं नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री श्री शेरबहादुर देउवा जी और उनसे हम जानने की कोशिश करेंगे कि भारत और नेपाल के बीच में जो एक परंपरागत और ऐतिहासिक रिश्ता रहा है, उसमें किन कारणों से आपसी विश्वास और भरोसे में गिरावट आ रही है। नेपाल में जो राजनैतिक अस्थिरता है वो कब तक दूर हो जाएगी और भारत नेपाल के बीच जो एक ऐसिहासिक ट्रीटी हुई थी उस ट्रीटी को लेकर भी समय-समय पर दोनों देशों के बीच बयान और आरोप-प्रत्यारोप देखने और सुनने को मिलते हैं, तो इन सभी महत्वपूर्ण मसलों पर श्री देउवा जी से बात करने की कोशिश करेंगे, उनकी राय जानने की कोशिश करेंगे। अब हम उनसे बातचीत शुरु करते हैं। देउवा जी आपका बहुत-बहुत स्वागत है।
शेरबहादुर देउवा: धन्यवाद

वासिंद्र मिश्र: सबसे पहले तो आप भारत के दौरे पर हैं। इधर कई दिन से आप भारत के कई महत्वपूर्ण नेताओं से मिले हैं। जो मौजूदा सरकार में लोग हैं उनसे मिले हैं, विपक्ष के नेताओं से भी मिले हैं। आप किस उम्मीद को लेकर भारत आए थे और आपका ऐजेंडा क्या था?
शेरबहादुर देउवा: आप तो जानते हैं कि नेपाल में माओवादी थे, नेपाल में जो लड़ाई हुई थी उसमें बारबूंदी सहमति हुई माओवादियों के साथ। इंडिया ने सहयोग किया, इंडिया के सहयोग से हमने बारबूंदी सहमति की। नेपाल में जो राजा थे ज्ञानेंद्र, उन्होंने सारा अधिकार अपने पास ले लिया, जिसके खिलाफ भी हमारा बहुत बड़ा आंदोलन हुआ उसमें भी इंडिया का सपोर्ट रहा। उसके बाद माओवादी पीस प्रोसेस में आने के बाद हमारे सामने दो एजेंडा थे एक तो था पीस प्रोसेस को काबू किया जाए, दूसरा था संविधान सभा के चुनाव से संविधान बनाया जाए। पीस प्रोसेस तो अब पूरी हो गई है, माओवादी के जितने भी लड़ाकू थे उनकी व्यवस्था हो गई है मैनेजमेंट हो गया है, समायोजन हो गया है, किसी का आर्मी में हुआ है कुछ लोग समाज में शामिल हो गए हैं। शांति प्रक्रिया पूरी हो गई है बड़ी अच्छी बात है। दूसरा था संविधान बनाने का, हमारा संविधान सभा का चुनाव हुआ लेकिन उसमें संविधान नहीं बन पाया। इसमें कुछ मसले नहीं सुलझ पाए, वक्त कम था जिसकी वजह से संविधान सभा में संविधान नहीं बन पाया, अब जब हम संविधान सभा के चुनाव में जा रहे हैं तो वो मसले सुलझा लिए जाएंगे और हम संविधान बना कर छोड़ेंगे।

वासिंद्र मिश्र: लेकिन जिस संविधान सभा के चुनाव की बात हो रही है, जिस संविधान सभा के चुनाव कराने की जिम्मेदारी इस समय आपने वहां के न्यायाधीश और इंटेरिम प्राइममिनिस्टर को दे रखी है उनके ऊपर खुद कई गंभीर आरोप हैं और उनकी एक्सेप्टिबलिटी भी नहीं है वहां के आवाम में, वहां की पार्टियों के बीच में तो क्या उम्मीद की जाए कि उनकी रहनुमाई में जो चुनाव होने जा रहा है वो फ्री और फेयर इलेक्शन होगा?
शेरबहादुर देउवा: निष्पक्ष इलेक्शन हो, इसिलिए उन्हें बनाया गया है, क्योंकि प्रधान न्यायाधीश तो निष्पक्ष होता है, वो किसी की साइड नहीं लेता इसीलिए उनको सरकार का चेयरमैन बनाया गया है। जहां तक ये बात उठती है तो ये बात सच है कि सेपरेशन पावर शक्ति पृथकीकरण की समस्या आ जाएगी, प्रधान न्यायाधीश ही जब चेयरमैन ऑफ द काउंसल मिनिस्टर होगा तो एक्जिक्यूटिव न्यायालय की समस्या तो हो जाएगी, तो हमने तय कर लिया है कि वो जो सरकार का चीफ होगा उनका सुप्रीम कोर्ट में कोई रोल नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जज को हमने पूरा अधिकार सहित कार्यभार दिया है कि उसकी छाया भी नहीं पड़ेगी। निष्पक्ष चुनाव के लिए तो प्रधान न्यायाधीश ही ज्यादा निष्पक्ष होता है, ये हमारी मान्यता हुई। इसीलिए जो भी चिंता है लोगों की इलेक्शन के बाद वो हट जाएगी अपने आप। जब इलेक्टेड गर्वमेंट बनेगा तब सब ठीक हो जाएगा।

वासिंद्र मिश्र: देउवा साहब जब वहां माओवादी आंदोलन चल रहा था, राजशाही के खिलाफ आंदोलन चल रहा था तो वहां की जनता में बहुत विश्वास था उम्मीदें थी कि जब लोकतंत्र आएगा, राजशाही का खात्मा होगा तो जनता की जो आम जिंदगी है उसमें सुधार होगा, उनकी सुख सुविधा में बढ़ोतरी होगी, लेकिन राजशाही के खात्मे के साथ जिस तरह की खींचतान, उठापटक नेपाल में देखने को मिल रही है, उससे लगता है कि आपकी जनता काफी मायूस है। बीच में इस तरह की खबरें पढ़ने-सुनने को मिलती हैं कि जनता का एक वर्ग ये भी कहने लगा है कि इससे बढ़िया तो राजशाही थी, इस लोकतंत्र से बढ़िया। आप लोगों को नहीं लग रहा है कि आप लोग अपने देश की जनता के साथ उसकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पा रहे हैं?
शेरबहादुर देउवा: देखिए ये सच बात नहीं है। देखिए, जनता खुश है कि पीस है, लड़ाई थी मार-काट थी, बम ब्लास्ट होता था, ये नहीं है। शांति सबसे ज्यादा जरूरी थी नेपाल में और शांति है इससे जनता काफी खुश है। अब देखिए जनता की उम्मीदें ज्यादा हैं। हर जगह जनता की उम्मीदें ज्यादा होती हैं। अब जनता चाहती है कि जल्दी संविधान बन जाए, नेपाल फेडरल डेमोक्रेट कंट्री बन जाए और तब नेपाल में स्टेबलिटी आ जाएगी और इसमें टाइम तो लगेगा ही। इतने बड़े देश में पीस हो इसमें वक्त लगेगा, संविधान बनाने में वक्त लगेगा। कई देश ऐसे हैं जहां संविधान बनाने में बहुत वक्त लगा है। हम जल्दी चुनाव करा के संविधान बनाएंगे तो जितनी भी अटकलें हैं, जितनी भी शंकाएं है सब हट जाएंगी। जहां तक आप राजा की बात कर रहे हैं तो राजा के प्रति अब कोई इतना आकर्षण नहीं है।

वासिंद्र मिश्र: भारत और नेपाल के बीच में बहुत ही अच्छा रिश्ता रहा है। मेरी समझ से इतना अच्छा और डिपेन्डेबल इतना कम्फर्टेबल रिश्ता भारत का और किसी पड़ोसी मुल्क से नहीं रहा है जितना कि नेपाल से रहा है। क्या कारण कि पिछले कुछ वर्षों से लगातार दोनों देशों के बीच में जो आपसी भरोसा था उसमें कमी देखने को मिल रही है, एक दूसरे पर भरोसा कम होता जा रहा है?
शेरबहादुर देउवा: ऐसा नहीं है, भारत का भरोसा अच्छा है। भारत ने हमें 1950 से रहे राणा के शासन को हटाने में मदद की। पंचायत टाइप के डेमोक्रेटिक सिस्टम को हटाने में मदद की, राजा के राजशाही को हटाने में मदद की और माओवादियों को पीस में लाने में मदद की। नेपाल के भारत से अच्छे संबंध है।

वासिंद्र मिश्र: जो ट्रीटी को लेकर बार-बार कहा जाता है कि भारत ने जो नेपाल के साथ ट्रीटी की थी वो एक पक्षीय थी और उसमें भारत के हितों का ज्यादा ध्यान रखा गया है, और इसलिए उस ट्रीटी को नए सिरे से रिव्यू करना चाहिए और एक नई ट्रीटी होनी चाहिए भारत और नेपाल के बीच में?
शेरबहादुर देउवा: भारत सरकार इसमें अपडेट करने के लिए तैयार है। वो पुरानी ट्रीटी थी अभी बहुत सी चीजें बदल गई हैं दोंनों देशों के लिए नई ट्रीटी लाने के लिए भारत तैयार है और इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। इसमें कोई समस्या नहीं है।`नेपाल की जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल नहीं होने देंगे`

वासिंद्र मिश्र: भारत-नेपाल की जो सीमा है लगभग एक हजार किलोमीटर की है, और उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार के कुछ जिले और सिक्किम से लगी हुई है। पिछले कुछ वर्षों से कहा जाता है कि इन रास्तों से आतंकवादी आसानी से भारत में चले आते हैं, चाहे वो पाकिस्तान से ट्रेंड किए गए हों या बाग्लादेश से या किसी और मुल्क से इसे रोकने के लिए नेपाल की सरकार या आप लोग क्या कदम उठा रहे हैं?
शेरबहादुर देउवा: देखिए हम नेपाल में भारत के खिलाफ ऐसी किसी की भी एक्टिविटी को बर्दाश्त नहीं नहीं करेंगे और आतंक के खिलाफ हम भारत को सहयोग करते आ रहे हैं और आगे भी करेंगे, इसमें कोई नई बात नहीं है। इतना है कि इन्फार्मेशन एक्सचेंज हो जाए और केपिसिटी बिल्डिंग भारत से हो तो हम भारत के खिलाफ नेपाल की ज़मीन को किसी भी हालत में प्रयोग नहीं होने देंगे इसमें कोई दो बात है ही नहीं।

वासिंद्र मिश्र: भारत और नेपाल के बीच एक आपसी रिश्ता है जिसे ऐतिहासिक रिश्ता हम कह सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों से अलग-अलग कारणों से चाहे वो सामरिक कारण हों या नेपाल में जो राजनीतिक अस्थिरता बनी हुई थी माओवादी आंदोलन के चलते और अब कहा जा रहा है कि चीन का लगातार प्रभाव बढ़ता जा रहा है नेपाल में। चीन नेपाल की जमीन को नेपाल की सीमा को भारत के विरुद्ध दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल कर रहा है इस पर आपको क्या कहना है?
शेरबहादुर देउवा: हमें तो ऐसा नहीं लगता है। देखिए चीन के प्रधानमंत्री आए थे कुछ वक्त पहले नेपाल में उन्होंने खुलकर कहा कि नेपालियों को भारत के साथ अच्छा संबंध बनाना चाहिए। जहां तक मुझे मालूम है भारत और चीन के संबंध भी अच्छे बनते जा रहे हैं, नेपाल में जब भी एंटी तिब्बत गतिविधियां चलती हैं तो उसको रोकने के लिए चीन को भी सिक्योरिटी की चिंता होती है और हम लोग उसमें भी सहयोग कर रहे हैं। लेकिन ऐसी बात तो मुझे नहीं लगता है कि वो भारत के खिलाफ नेपाल को इस्तेमाल करते हैं। ऐसा तो नहीं लगता क्योंकि वो खुद भारत से अच्छे संबंध रखने की राय देते हैं।

वासिंद्र मिश्र: नेपाल में नेचुरल रिसोर्सेज बहुत हैं, खास तौर से बिजली उत्पादन के लिए जितने संसाधन की जरुरत होनी चाहिए उससे ज्यादा नेपाल में हैं, बावजूद इसके भारत और नेपाल के बीच कोई इस तरह का समझौता क्यों नहीं हो पाता है जिससे कि जो नेचुरल रिसोर्स हैं जो प्राकृतिक संपदा है, उसका फायदा दोनों देशों की जनता को मिले?
शेरबहादुर देउवा: मैं तो इसी में हूं, मैंने कल आबजर्वर ग्रुप के प्रोग्राम में कहा कि नेपाल में एक लाख से ज्यादा मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है। भारत और नेपाल दोनों देशों को फ्लड कंट्रोल करने से फायदा होगा। इसीलिए जब मैं प्राइम मिनिस्टर था उस समय में जो संधि हुई थी वो आगे बढ़ रही है लेकिन जितना बढ़नी चाहिए उतनी नहीं बढ़ी। ये आपके माध्यम से अनुरोध करूंगा कि भारत सरकार, भारत की जनता और भारत के इन्वेस्टर्स नेपाल आएं तो एक लाख से ज्यादा मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है। इससे भारत और नेपाल दोनों को फायदा होगा। फ्लड कंट्रोल से भारत नेपाल दोनों को सिंचाई का भी फायदा होगा। इंडिया में बिजली की आवश्यकता भी है। देखिए, अरब के तेल के कुंए सूख जाएंगे, तो भी यहां सूखा नहीं होगा। पानी लगातार बहता है, क्लीन एनर्जी है इसका हमें इस्तेमाल करना चाहिए। दोनों देशों को फायदा है। इतना आगे बढ़ रहा है इंडिया तो उसे एनर्जी की जरूरत है और नेपाल इसके लिए पूरा तैयार है। मैं पर्सनली भी इसको आगे बढ़ाना चाहता हूं। मैं तो कैंपेन कर रहा हूं कि नेपाल में वॉटर रिसोर्सेज का इस्तेमाल होना चाहिए।

वासिंद्र मिश्र: लेकिन उसी पानी की वजह से भारत के जो बॉर्डर पर लगे हुए गांव हैं जिले हैं, वहां हजारों एकड़ फसल हर साल तबाह हो जाती है। लाखों की तादाद में लोग बेघर हो जाते हैं। नेपाल की नदियों से जब पानी आता है और उसके मैनेजमेंट की उसके रोकथाम की कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं है। नेपाल सरकार बगैर भारत के लोगों की जानमाल का ध्यान रखे ऐसे ही छोड़ देता है?
शेरबहादुर देउवा: हम क्या कर सकते हैं पानी को देखिए इतना बहाव है कहां रुक जाएगा हम उसको उपर तो ले के नहीं जा सकते हैं ना, पानी तो नीचे ही जाएगा इसीलिए वॉटर स्टोरेज बनाया जाए, फ्लड कंट्रोल भी हो जाएगा। बात ये है कि चाहे नेपाल हो या इंडिया हो, बरसात आती है तो नेपाल में भी वहीं हालत हैं इंडिया की तरह। इसीलिए इसमें बड़े-बड़े हाई डैम बनाए जाएं, स्टोरेज किया जाए पानी का। नेपाल में ताकत ही नहीं है हमारे पास पैसा भी नहीं है कि वो कर सकें।

वासिंद्र मिश्र: लेकिन भारत अगर वहां बनाना चाहता है तो आपकी सरकारें या आपके लोग समय समय पर विरोध करते रहे हैं हाई डैम का?
शेरबहादुर देउवा: देखिए एनवायरमेंटल लोग तो कहीं भी विरोध करते हैं यहां भी विरोध करते हैं। अब टिहरी डैम को लेकर कितना विरोध हुआ था, मुश्किल से बना ना वो, समस्या तो आती रहती है, समस्या का समाधान करना चाहिए, नेपाल तो तैयार है करने के लिए, पूरी सुरक्षा देगा पूरी सिक्योरिटी देगा।

वासिंद्र मिश्र: भारत में आजकल दौर चल रहा है नई पीढ़ी को सत्ता सौंपने का, नई पीढ़ी को राजनैतिक कमान सौंपने का, आपके नेपाल में क्या स्थिति है क्या भारत का असर वहां भी देखने को मिल रहा है?
शेरबहादुर देउवा: हमारे यहां तो सबसे ज्यादा यंग लोग पार्लियामेंट में थे, हमारे यहां जो यंग लोग हैं वो पार्लियामेंट में आएंगे।

वासिंद्र मिश्र: देउवा साहब, अगर फिर आपको दोबारा मौका मिलता है सत्ता में आने का, नेपाल का प्रधानमंत्री बनने का तो आपका क्या होगा एजेंडा, अपनी जनता के लिए अपने यूथ के लिए उस देश के विकास के लिए?
शेरबहादुर देउवा: मैंने कहा कि नेपाल में जब तक जल स्त्रोत का विकास नहीं होगा तब तक नेपाल आगे नहीं बढ़ पाएगा। मेरा ये मानना है कि जल स्त्रोतों का विकास करूंगा। नेपाल टूरिज्म के लिए अच्छा देश है, खूबसूरत है, इंफ्रास्ट्रक्चर बनाना होगा। गरीबी हटाने के लिए आगे बढ़ेंगे। नेपाल से यूथ बाहर जा रहा है, उनको नेपाल में ही हम काम देना चाहते हैं हमारे यहां जल स्त्रोत का भंडार है उसका हम सदुपयोग करना चाहते हैं, और भी हैं लेकिन ये सबसे ज्यादा हैं। हम प्राइवेट इन्वेस्टर का स्वागत करते हैं, फॉरेन इन्वेस्टमेंट का हम स्वागत करते हैं। भारतीय पूंजीपति नेपाल में आएं, उद्योग लगाने के लिए। लोग भारत से नेपाल में आना चाहते हैं गर्मी में भी वहां ठंड रहती है दो तिहाई भाग हमारा माउंटेन है, टूरिज्म को आगे बढ़ाकर विकास करना चाहते हैं।

वासिंद्र मिश्र: हमारे चैनल से बातचीत करने के लिए धन्यवाद।
शेरबहादुर देउवा: आपका भी बहुत बहुत धन्यवाद आपने हमें मौका दिया।

First Published: Friday, June 14, 2013, 23:48

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