Last Updated: Saturday, November 10, 2012, 21:11
बिमल कुमार अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में बराक ओबामा ने लंबी, विवादास्पद व खर्चीली चुनावी लड़ाई के बाद आखिरकार अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी पर ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के साथ ही इतिहास भी रच दिया। अमेरिका में कई चुनौतियों के बीच दूसरा कार्यकाल हासिल करने वाले ओबामा लगातार तीसरे राष्ट्रपति हैं।
चार साल पहले ‘बदलाव’ का नारा देकर राष्ट्रपति चुने गए ओबामा के समक्ष इस बार बेरोजगारी, आर्थिक मंदी आदि से निपटने संबंधी कई चुनौतीपूर्ण मुद्दे थे। विभिन्न प्रांतों में प्रचार अभियान के दौरान इन मसलों पर जवाब देने में उन्हें खासी मुश्किल भी पेश आई थी। रोमनी की ओर से इन मसलों पर निरंतर घेरे जाने के बावजूद ओबाम परेशान जो जरूर हुए, लेकिन डिगे नहीं। जिसका नतीजा यह हुआ कि उनकी छवि एक धैर्यवान नेता के रूप में भी सामने आई। अपने मजबूत इरादों को वह बार-बार जनता के सामने प्रदर्शित करने में कामयाब रहे। संभवत: यह लोगों को अपने पक्ष में करने में ओबामा के लिए काफी अहम साबित हुआ।
विभिन्न सर्वेक्षणों के दौरान उन्हें मामूली अंतर से आगे बताया गया था, लेकिन सैंडी तूफान के बाद अमेरिका में उत्पन्न स्थिति से बेहतर ढंग से निपटने का उनको काफी फायदा भी मिला। इस तूफान में अमेरिका के कई प्रांत बुरी तरह चपेट में आ गए थे और लोगों के सामने विकट समस्याएं खड़ी हो गई थी। लेकिन ओबामा ने पूरा संयम बरतते हुए बचाव व राहत कार्यों को अंजाम दिया। अर्थव्यवस्था की सुधरती स्थिति से उत्साहित और सैंडी तूफान के दौरान अपने नेतृत्व में धैर्य का प्रदर्शन करने वाले ओबामा के लिए आगे की राह अभी भी कई चुनौतियों से भरी हैं। बेरोजगारी, आर्थिक मंदी, विदेश नीति आदि कई जटिल मसले हैं, जिनसे उन्हें पार पाना होगा। और इस बात को ओबामा भी बखूबी समझते हैं, इसी वजह से चुनाव जीतने के बाद उन्होंने विशेष तौर उल्लेख किया कि वह अमेरिका के ऐसे भविष्य में विश्वास करते हैं जब रोजगार के अधिक अवसर सृजित किए जाएंगे और मध्यम वर्ग को नई सुरक्षा मुहैया कराई जाएगी।
इन चुनावों में रोमनी के पक्ष को उम्मीद थी कि आर्थिक संकट के मुद्दे पर ओबामा प्रशासन को घेरने और बेरोजगारी की स्थिति के कारण उन्हें लाभ होगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। रोमनी का दूसरा घर कहे जाने वाले न्यू हैम्पशायर और उप राष्ट्रपति पद के रिपब्लिकन उम्मीदवार पॉल रयान के गृह राज्य विस्कान्सिन में हार से रिपब्लिकन पक्ष को गहरा आघात पहुंचा। मगर रोमनी ने ओबामा को कई प्रांतों में कड़ी टक्कर दी।
ओबामा अमेरिका के लगातार तीसरे ऐसे राष्ट्रपति हैं, जिन्होंने अपने पूर्ववर्तियों जॉर्ज डब्ल्यू बुश और बिल क्लिंटन के बाद राष्ट्रपति पद पर दोबारा कब्जा जमाया है। ओबामा 2009 में अमेरिका का राष्ट्रपति बनने वाले अफ्रीकी मूल के पहले व्यक्ति थे और अब उन्होंने मिट रोमनी को पराजित कर व्हाइट हाउस पर दोबारा काबिज हुए हैं। उनके पूर्ववर्ती जॉर्ज डब्ल्यू. बुश 2001 से 2009 तक राष्ट्रपति रहे और इसके पहले बिल क्लिंटन 1993 में राष्ट्रपति निर्वाचित हुए थे और वह 2001 तक इस पद पर बने रहे। अमेरिका के इतिहास में यही देखा गया है कि कोई भी अमेरिकी राष्ट्रपति दो कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह पाता।
व्हाइट हाऊस में ओबामा के दूसरी बार पहुंचने पर भारतीय उद्योग जगत ने इसका स्वागत तो किया लेकिन उनके मन कुछ आशंकाएं भी हैं। मसला आउटसोर्सिंग का जो है। ओबामा पहले भी इस मुद्दे पर कुछ सख्त कदम उठाते रहे हैं। उद्योगपतियों ने आउटसोर्सिंग के मामले में चिंता भी जताई है। अब देखना यह होगा कि ओबामा का इस मसले पर क्या रुख रहता है।
इस चुनाव के शुरुआत में ओबामा को उनके विरोधियों ने हल्के में लिया था। पर हकीकत यह है कि जमीनी स्तर पर काम करने के कौशल ने ही अश्वेत अमेरिकी नेता को मतदाताओं के दिलों तक पहुंचने में उनकी मदद की। ओबामा को पहले कार्यकाल के दौरान इन अफवाहों को दूर करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी कि वह एक मुस्लिम हैं। कई दशकों के बाद अमेरिका में आई भीषण मंदी के बीच ओबामा के कार्यभार संभालने के बाद से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को काफी संघर्ष करना पड़ा। जिसमें धीमी रोजगार वृद्धि दर और बेरोजगारी दर का आठ फीसदी से ऊपर बने रहना बड़ा मुद्दा रहा। रोमनी को हराकर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने के बाद ओबामा ने शिकागो में बदलाव का फिर संकेत दिया और कहा कि अमेरिका के लिए सर्वोत्तम आना अभी बाकी है।
अमेरिकी जनता के भरोसे के बल पर ओबामा इस चुनाव में अर्थव्यवस्था और अमेरिका के भविष्य के सवालों को लेकर बनाए गए चक्रव्यूह को ध्वस्त करने में कामयाब रहे और ऐतिहासिक जीत दर्ज कर लगातार दूसरी बार देश के राष्ट्रपति बने।
खैर जो भी हो अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति ओबामा कई कयासों से उलट अमेरिकी आवाम का दिल फिर से जीतने में कामयाब रहे। उन्होंने निर्वाचक मंडल (इलेक्टोरल कॉलेज) के 535 मतों में से 303 मत हासिल किए। अमेरिका में 1930 के दशक के बड़े आर्थिक संकट के बाद सबसे बुरी तरह से प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था को उबारने की ओबामा की क्षमता और योग्यता पर विपक्ष के तमाम सवालों के बीच यहां की जनता ने देश की बागडोर डेमोक्रेटिक पार्टी के हाथ में ही रखने का फैसला किया। साथ ही सीनेट में डेमोक्रेट और प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन का वर्चस्व कायम रहा।
अब आने वाले चार सालों में यह देखना होगा कि विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही अमेरिकी जनता के हित में ओबामा का यह दूसरा कार्यकाल कितना कारगर साबित होता है।
First Published: Wednesday, November 7, 2012, 14:24