यूपी में कठिन है राह

यूपी में कठिन है राह

यूपी में कठिन है राहरवि मिश्रा

अगर आप देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर रहे हैं तो थोड़ा सावधान ही रहें। दिक्कत ये है कि कब कहां क्या हो जाए, किसी को पता नहीं। अब देखिए ना राजधानी लखनऊ में ही बन रहा पुल हवा के झोंके से गिर गया। पुल की बात हो रही है तो आप जानते ही हैं कि पुल को इंजिनियर्स बना रहे हैं। लेकिन वो तो अलग ही बेहाल हैं। प्रदेश सरकार में बड़े मंत्री, एक बार पूर्वांचल क्या गए क्या आए। पीडब्ल्यूडी से लेकर कई दूसरे विभागों के अभियंताओं की शामत आ गई।

कौन समझाए उनकों की बड़ों के खिलाफ़ कुछ कहना, करना हमारे यूपी की परंपरा नहीं है। बहरहाल हम तो बात कर रहे थे यूपी में सावधान रहने की। कहने का मतलब ये है कि जब आप सड़कों पर चलें, तो सावधान रहें, भई शहरों में जे.एन.एन.यू.आर.एम. ने इतने छेद किए हैं कि आप कंफ्यूज़ हो जाएंगे, कि पैर कहां रखे और कहां नहीं, सीवर का क्या है। सड़क के किनारे हो या बीच में हो बह तो रही ही है। कहां तो लोग गंगा की अविरल धारा के लिए जान दे रहे हैं। अरे यूपी की सरकारों से एक बार सीवर की अविरल धारा का राज़ पूछ लेते तो कुछ बेसिक कॉन्सेप्ट्स बन जाते। कि कैसे अविरल धारा बनाए रखें। पुल की बात इसलिए की थी, कि अगर आपने सोचा की इन सड़कों से बच के पुल का प्रयोग किया जाए तो भईया सावधान! कौन सा पुल कब हवा हो जाए। कह नहीं सकते ये जरूर पता कर लीजिएगा कि कहीं इस पुल का निर्माण लखनऊ के पुल की तरह उप्रसेनि यानी उत्तर प्रदेश सेतु निगम ने तो नहीं करवाया।

अगर हां तो सावधान! फिर यूपी की यात्रा करें कैसे? नहीं जनाब कुछ सड़के तो सही सलामत हैं। वहीं जो एनएच टाइप है। पर यहां हनहनाती रोडवेज बसों का हम कुछ नहीं कह सकते। एक तो ठसाठस ओवरलोडेड, उपर से स्पीड के लिए तो ट्रैफिक पुलिस में बैठे चाचाओं ने परमिट दे ही रखा है। हांको जितना हांक सकते हैं, तो हम कह नहीं सकते कि कब कौन, कहां ठोक दे। ऐसा कुछ हुआ भी तो लोगों का सड़कों पर रोज की तरह जाम, प्रदर्शन शुरू, पुलिस क्या कर लेगी? डंडों से और गोलियों से यहां कौन डरता है? उलटे किसी सपाई या बसपाई या कोई और पाई से उलझ गए तो! तो ये कब किसी बड़े राजनीति संकट का रूप ले ले। कहा नहीं जा सकता, फिर तो विधानसभा तक में ले-दे हो जाती है। सरकार है तो कुछ करेगी ही। सो कुछ तबादले, निलंबन आदि-आदि। अरे मालूम नहीं क्या इस सरकार में एक से एक ट्रांसफरमिस्ट हैं।

अरे वहीं जो ट्रांसफर करने में पीएचडी टाईप की ड्रिग्री ले चुके हैं। तो अधिकारी अलग परेशान, काम करें या बोरिया बिस्तर बांधे या खोलें। तो अगर आप सोच रहे है कि आपके साथ कुछ ऐसा वैसा होता है और आप किसी सरकारी अधिकारी के पास जाते हैं तो वो आपकी मदद नहीं कर पाएगा। टाइम नहीं है, वो सामान समेटने खोलने में लगा होगा ना। आप समझते नहीं, बस सावधान रहिए।

तो हम कहां थे, रोजवेज़ बसों की भिड़ंत। हां, यहां कोई घायल हुआ, आपको चोट लगी तो भूल के भी सरकारी अस्तपताल में ना जाइएगा। पूछिए मत क्यूं? अरे इलाज कराने के बाद आपको पता चलेगा कि जिसने आपका अभी-अभी ऑपरेशन किया है वो डॉक्टर पूरे कैंपस में झाड़ू लगाता है या फिर अस्पताल की गाड़ी चलाता है।

अब क्या है ये डॉक्टरी वॉक्टरी करते-करते मेन वाले डॉक्टर साहब लोग बोर हो गए है। तो यूपी के अस्पतालों में कुछ नया एक्पेरिमेंट चला दिया है। अब देखिए नीचे के लोगों को उपर बढ़ाना तो यूपी में बड़ा चेंज माना जाता है ना और पिछली सरकार इसी नारे के साथ तो पांच साल चांदी काट गई। तो अस्पतालों में भी क्यों ना हो। उनको मौका देंगे तभी तो वो अपनी कुशलता दिखाएंगे। अब पेट में एक दो झाड़ू रह जाए तो सह लीजिएगा। नए-नए है, सीख जाएंगे डॉक्टरों की तरह कैंची या तैलिया छोड़ना। चलिए इतना तो मानिएगा कि ये लोग आपकी किडनी नहीं चुरा सकते। तो ये बड़ी खुशखबरी है। खुश रहिए, आप यूपी में हैं। पर स्वास्थ्य मंत्री खुश नहीं हुए, मीडिया ने चिल्ल-चों से परेशान हो कर एक साथ ना सिर्फ उस झाड़ू वाले या ड्राईवर को हटा दिया। बल्कि 11 सीएमओ हटा दिए गए, ये वाले मंत्री थोड़े अलग हैं। है ना, देखिए ना ट्रांसफर नहीं किया है, हटा दिया है। लेकिन एक मंत्री तो अस्पतालों को बंद करने की सलाह देते हैं। जब इलाज नहीं हो सकता है तो बंद कर दो यूपी के अस्पताल।

मंत्री साहब अस्पतालों में कुछ दवा दारू भी हो जाए। डॉक्टरों को इधर उधर करने से क्या होगा। अब अस्पतालों में हजारों डॉक्टरों की कमी है। मरीजों का दर्द देख कर किसी झाड़ू वाले का दिल पसीज गया। कटे-फटे पर थोड़ा हाथ घुमा दिया तो क्या बुरा किया। बड़े निर्दयी हैं आप लोग। बेचारा झाड़ू वाला, कोई उसे समझाए कि डॉक्टर बनना कोई मुश्किल काम थोड़े ही है यूपी में। जाए कहीं से फर्जी उर्जी ड्रिग्री ले आए। सब चलता है यहां।

देखिए हर जिले में फर्जीं पैथॉलजी लैब मस्त चल रहे थे क्या कोई दिक्कत थी। पता नहीं मीडिया वालों को क्या खुजली है। बहरहाल आप तो समझ ही गए होंगे की सड़क मार्ग से चलने पर आप कहां-कहां पहुंच सकते हैं। पर पानी का मार्ग दिमाग में भी मत लाइएगा। अरे यूपी में अब बाढ़ का सीज़न आ गया है। वैसे भी सड़क पुलिया कहां बचने वाले हैं। पूर्वांचल तो जाइएगा ही मत। पता नहीं क्या है। हल साल पानी में तैरता रहता है। अब सरकार करे भी तो क्या करे। पैसा आता है। बजट बनता है। बाढ़ पीड़ितों के नाम पर कई काम होते हैं। वही हिस्सा बांटने वाला। ये तो रेगुलर और जरूरी है ना। लोग समझते ही नहीं, देखिए जून तक एल्गिन चरसड़ी बांध बन जाना था। कितना मुश्किल काम है आप समझते भी हैं ?

बीएसपी सरकार पिछले साल से लगी थी, वो गई। नई सरकार, अरे साईकिल वाली, वो भी लगी है। काम आधा भी नहीं हो पाया। मतलब भारी काम है। तभी तो जो हाथी नहीं कर पाया वो साईकिल से इतनी जल्दी कैसे होगा? टाइम लगता है और हां अभी वो गोरखपुर वाला इंसेफेलाइटिस वाला मैटर ना उठाइएगा। बहुत काम है सरकार के पास।

वो पारंपरिक मुद्दा है। अगली सरकार के लिए छोड़ दिया जाएगा। बच्चों का क्या है। इतने बड़े राज्य में करोड़ों की आबादी में कुछ मर भी जाते है तो किसे पता चलता है। इस साल तो अभी 130 के आसपास ही मरे हैं ना। अरे पता करते बीएसपी में काल में इसी पीरियड का तो ज्यादा मिलता। बेकार की बहस है ये।

दरअसल यूपी की जनता ही अनपढ़ है इसके ज्ञान का स्तर कम होता जा रहा है। नहीं तो ये मामूली बातें समझ जाती। फिर उम्मीदें ना पालती। इसके लिए बच्चों को ठीक से पढ़ाना होगा। मार-पीट के ठोक-ठोक कर। हमने नहीं ये तो यूपी के बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा, केंद्र ने सब बिगाड़ा है। अब वो ठीक कर देंगे। अरे सरकार को सब पता है। ये जो बच्चे हैं। इनका मन बिगड़ा हुआ है आज कल और लातों के भूत बातों से कहां मानते हैं। तो आपका बच्चा भी सरकारी स्कूल में पढ़ता है तो सावधान! पता नहीं मंत्री जी आएं और ठोक ठाक के ठीक कर दें। पर बच्चों की तो दूसरी समस्या है।

कहते हैं रात में पढ़ने को बिजली नहीं, कोई बात नहीं नई सरकार सब ठीक करने के मूड में है। पहले तो सात बजे के बाद दुकाने बंद कराने के इरादा था। अब मंत्री साहब ने कहा है कि सरकारी महकमों में बिजली बर्बाद हुई। तो सैलरी कटेगी यानि सैलरी काट कर विभाग की नाक बचाने का एक और अभियान। लेकिन ये जो कुछ भी है ये पिछली बीएसपी सरकार की वजह से है। प्रदेश की सरकार तो सब ठीक कर देगी। उनके तमाम मंत्री काम में लगे हुए हैं। काम में लगे हैं तो रिजल्ट भी दिख रहा है। तभी तो हम कह रहे हैं सावधान ! आगे यूपी है।

(लेखक ज़ी उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड में एंकर और प्रोड्यूसर हैं)



First Published: Monday, July 30, 2012, 18:12

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