ज़ी न्यूज मध्यप्रदेश/ छत्तीसगढ़ की लॉंचिंग के मौके पर
सियासत की बात में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री
रमन सिंह से ज़ी न्यूज मध्यप्रदेश/ छत्तीसगढ़/ उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड के संपादक वासिंद्र मिश्र ने खास बातचीत की। पेश हैं इसके मुख्य अंश:-
वासिंद्र मिश्र - रमन सिंह जी पिछले करीब 9 साल से आप प्रदेश में सरकार चला रहे हैं। अगर खुद आपको ही कहा जाए तो आप अपनी सरकार के परफॉर्मेंस से कितना संतुष्ट हैं?
रमन सिंह-प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के नाते या फिर इस सरकार की 9 साल की यात्रा में संतुष्टि इसलिए हैं क्योंकि हमने जो योजनाएं बनाई, उन योजनाओं का लाभ छत्तीसगढ़ के आखिरी व्यक्ति तक पहुंचा। मेरी संतुष्टि तब होती है जब छत्तीसगढ़ की जनता संतुष्ट होती है औऱ आज मैं कह सकता हूं की छत्तीसगढ़ की जनता संतुष्ट है और प्रदेश में उत्साह का माहौल है। आज मैं कह सकता हूं कि छत्तीसगढ़ देश के लिए मॉडल बना है।
वासिंद्र मिश्र- आंकडों की बात करें तो छत्तीसगढ़ सरकार का प्रदर्शन बेहतर है। सरकारी आंकड़ों औऱ योजना आयोग के आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं। बावजूद इसके समाज कल्याण की योजनाओं में गड़बड़ी के आरोप लगते रहे हैं। ऐसी कौन सी योजनाएँ हैं जिनके बारे में आपको लगता है कि और बेहतर किया जा सकता था?
रमन सिंह- जो बड़ी योजनाएँ हमने चलाई। उनसे आम आदमी के जीवन में परिवर्तन आया है। फिर चाहे वो हमारा पीडीएस सिस्टम हो जिसमें पहले 35 लाख लोगों को और अब 42 लाख लोगों को हम राशन देने जा रहे हैं। हमारा Paddy Procurement System जिसमें हमने करीब 9 हजार करोड़ के धान की खरीद की है और 1900 करोड़ का बोनस दिया है। पहले लोगों के मन में शंका थी कि हम पीडीएस सिस्टम में बेहतर कर सकते है या नहीं, हमारा Paddy Procurement System सिस्टम बेहतर हो सकता है इसमे भी शंका थी। इसके अलावा शिक्षकों औऱ पुलिस में लाखों की भर्ती में पूरी पारदर्शिता बरती गई। जितनी भी योजनाएं बनीं। शत-प्रतिशत पारदर्शी तरीके से लागू की गईं। दूसरा कदम नए जिलों का निर्माण, प्रशासन को जनता के नजदीक ले जाने का काम, योजनाओं की लगातार मॉनिटरिंग, जनदर्शन जैसे प्रोग्राम के जरिए जनता से सीधे संवाद, और जनता से मिले फीडबैक का शत-प्रतिशत क्रियान्वयन, सिस्टम में जो थोड़ी बहुत कमियां थी, उन्हें भी शत-प्रतिशत दूर कर लिया गया है। अब जनता की ओर से कोई आवाज़ नहीं आती है।
वासिंद्र मिश्र- प्रदेश में महिला सशक्तीकरण को लकेर आपकी कई योजनाएं थी। तमाम पुरानी मान्यताएं थी कि आपके राज में महिलाओं के साथ काफी बदसलूकी होती है। खास तौर से विधवा महिलाओं के साथ आपने भी इसके लिए कानून बनाया लेकिन वो महज एक कानून बनकर रह गया। आपको नहीं लगता कि इस दिशा में विशेष प्रयास किए जाने चाहिए?
रमन सिंह- प्रदेश में अब वो दिन गए जब महिलाओं के साथ कोई अत्याचार की घटना हो। महिला सशक्तीकरण के मसले पर, हमारे यहां स्वयं सहायता समूह देश के सबसे मजबूत स्वयं सहायता समूह है, और सिर्फ सशक्तीकरण ही नहीं, हमने इनको अधिकार भी दिए हैं। पंचायती राज में इनके लिए 50 फीसदी का आरक्षण हैं और 36 फीसदी महिलाएं जीत कर आई हैं। जो ये बताता है कि प्रदेश में महिलाओं में लीडरशिप डेवलेप हुई है। महिलाओं को शक्तियां देने के लिए राशन की दुकानें दी गई हैं। आज 1200 दुकानें है जो महिलाएं चला रही है। इनको सस्ते ब्याज पर कर्ज की व्यवस्था की गई है। शहरी क्षेत्रों मे खुलने वाली दुकानों में भी महिलाओं को आरक्षण दिया जा रहा है। महिलाओं को रजिस्ट्री में भी 2 फीसदी की छूट दी गई है। इस प्रकार से महिलाओं को शक्ति देने का नतीजा ये हुआ है कि स्वंय सहायता समूह में काम करने वाली 2 महिलाओं को जो विशुद्ध ग्रामीण अंचल से आती हैं, पद्मश्री से सम्मानित किया गया और वो उनकी जागरुकता को लेकर हुआ। मुझे खुशी है कि छत्तीसगढ़ में जो पुरानी प्रथाएं थीं वो समाप्त हो गईं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि छत्तीसगढ़ में जेंडर इश्यू (लिंगानुपात) देश में केरल के बाद सर्वोत्तम है। 1000 में 991 लिंगानुपात है जो केरल के बाद सबसे ज्यादा है और इसका मतलब ये भी है कि प्रदेश में भ्रूण हत्या नहीं होती है। दूसरा महिलाओं को एम्पॉवर करने के लिए हमने काम किया है। अब तक कलेक्टर पद पर कई महिलाओं को नियुक्त किया, पंचायत का सीओ महिलाओं को बनाया, पुलिस में भी महिलाओं की भर्ती, अलग महिला थाने बनाए गए, सरकार की सोच सकारात्मक रही है और मैं मानता हूं कि छत्तीसगढ़ देश के कई राज्यों से आगे है।
वासिंद्र मिश्र- एक और आरोप लगता रहा है आपकी सरकार पर, नीतियां अच्छी हैं लेकिन आपके राज्य की बड़ी आबादी SC-ST और खासतौर से OBC का मानना है कि उनके नाम पर जो योजनाएं हैं उनका सीधा फायदा उन लोगों को नहीं मिलता है?
रमन सिंह- छत्तीसगढ़ में जो बड़ी आबादी है 36% ST है, 12% SC है और इस वर्ग की समस्या को प्रमुखता से ध्यान दिया गया। हिंदुस्तान में सबसे ज्यादा 2 लाख से अधिक वन अधिकार पत्र दिए जो सबसे बड़ी उनकी समस्या थी, शायद देश में इतने वनाधिकार पत्र किसी राज्य सरकार ने नहीं दिए। और सिर्फ उनको पट्टे नहीं दिए, जमीन को डेवलप किया, उनके समतलीकरण के लिए मदद की। उनको कुआं खोदने में मदद की, पंप कनेक्शन में मदद की और खासतौर पर बस्तर और सरगुजा जैसे अंचल में समुचित विकास के लिए प्राधिकरण की स्थापना की जो देश में कहीं नहीं हैं। बस्तर विकास प्राधिकरण और सरगुजा विकास प्राधिकरण। इन क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए महामहिम से अनुमति लेकर डिस्ट्रिक कॉडर बनाया। अब हमारे यहां भर्तियां स्टेट लेवल पर नहीं होती है बल्कि डिस्ट्रिक लेवल पर होती हैं। नारायणपुर का बच्चा नारायणपुर में, दंतेवाड़ा का बच्चा दंतेवाड़ा में, इस तरह तृतीय और चतुर्थ स्तर पर शत-प्रतिशत स्थानीय भर्ती होने लगी। और इसके साथ इस क्षेत्र को हमने फोकस किया, इन इलाकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर बहुत कमजोर था। नई यूनिवर्सिटी हमने खोली तो इन्हीं इलाके बस्तर, सरगुजा में। नया मेडिकल कॉलेज भी हमने बनाया। पिछड़े इलाकों में हमने एजुकेशनल हब बना दिया। पिछले 15-20 साल से इन इलाकों में हुए लगभग सभी चुनावों में जनता ने हमारा समर्थन किया। इन इलाकों में हम विजयी होते रहे हैं।
वासिन्द्र मिश्र- इसके पीछे कहीं ये तो नहीं कि जो नक्सल प्रभावित इलाके हैं एमपी के पिछड़ेपन की वजह से नक्सलवाद को बढ़ावा मिला और दूसरा जो क्षेत्रीय असमानताएं थीं?
रमन सिंह- छत्तीसगढ़ के लोगों की उम्मीदें बहुत थीं और उस उम्मीद को पूरा करने के लिए सरकार की ओर देख रहे थे। मुझे लगता है कि छत्तीसगढ़ ने लगातार इन क्षेत्रों को सामने रखा। आप आश्चर्य करेंगे कि इनकी प्रदेश में एसटी लोगों की population 32% है तो बजट का 34% हम इन पर खर्च कर रहे हैं।
वासिन्द्र मिश्र- नक्सलवाद देश की सबसे बड़ी समस्या है और आपका भी आधा राज्य इस समस्या से प्रभावित है। पिछले दिनों इस मासले पर जिस तरह की राजनीति हुई है और वोट बैंक को ध्यान में रखकर जो सियासत की गई। अलग-अलग सरकारों ने इस पर अलग-अलग रिएक्ट किया। आपकी राय में इससे निपटने का सबसे माकूल तरीका क्या हो सकता है। नंबर वन, जो एक आम धारणा है कि लैंड रिकॉर्ड के बगैर नक्सलवाद पर काबू नहीं पाया जा सकता, दूसरा जो उनकी माली हालत है, पिछड़ापन है उसको बगैर दूर किए इस पर काबू नहीं पाया जा सकता। सिर्फ बंदूक के दम पर आप उनको नहीं दबा सकते। आप जिस तरह से जूझ रहे हैं,इस लड़ाई में आपको केंद्र सरकार से किस तरह का और कितना समर्थन मिल रहा है?
रमन सिंह- नक्सल समस्या छत्तीसगढ़ को विरासत में मिली है। पिछले 40 साल से छत्तीसगढ़ नक्सल समस्या से जूझ रहा है मगर पिछले सालों में हमने एक अच्छी रणनीति बनाकर समुचित कार्य योजना बनाई। हम इस पर आगे बढ़ रहे हैं और सिर्फ बंदूक के दम पर नहीं, वहां विकास और लोगों को विश्वास में लेकर हमने इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया है। पहले की पुलिस की अगर बात करें को पुराने समय में 40-50-60 साल के बुजुर्ग कांस्टेबल थे, उनसे हम जंगल वारफेयर की बड़ी लड़ाई की कल्पना नहीं कर सकते थे। हमने 30 हजार नए पुलिस बल की भर्ती की। जंगल वॉरफेयर के लिए यानि हमने बेहतर तरीके से सुरक्षित रखा उनकों आधुनिक शस्त्र दिए और उसके साथ इंटर स्टेट बॉर्डर पर अन्य राज्यों के साथ समन्वय स्थापित किया। नक्सल मुद्दों पर चाहे चिदंबरम हो या दूसरे गृहमंत्री, उनके साथ हमारे डायलॉग लगातार चलते रहे और हमने इस विषय को लेकर सहयोग जारी रखा। केंद्रीय बल की जरूरत थी, उसको भी पूरा किया गया। आज मैं कह सकता हूं कि उस क्षेत्र में भी डेवलपमेंट हो रहा है। यदि पीडीएस छत्तीसगढ़ के आखिरी गांव तक पहुंचता है, नक्सल प्रभावित क्षेत्र में एजुकेशन के लिए हम काम कर रहे हैं, एक प्रकार से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों के मन में उत्साह है। आपने लैंड रिफॉर्म की बात की—नक्सली जो एक कहानी और गढ़े-गढ़ाए सिद्धांत की बात करते हैं कि जमीदारों के आतंक से नक्सलवाद पनपता है। छत्तीसगढ़ की अजीब सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक स्थिति है। यहां के जो भी जमीदार हैं जो ना शोषक हैं ना शोषण करते हैं। यहां का बड़े से बड़ा किसान भी तेंदू पत्ता तोड़ता है। खेती के प्रति लोगों का लगाव भी हमने बढ़ाया है। तेंदूपत्ता से लेकर दूसरी वन उपज की समुचित कीमत का इंतजाम हमने किया है। छोटे-छोटे उद्योग लगाकर, असम से मास्टर ट्रेनर भी बुलाया और आज हमें लगता है कि उनके हाथ में यदि काम मिल जाए, उनको यदि हम पुलिस या शिक्षक या कहीं और इस तरह का रोजगार यदि दे दें और उनकी स्किल अपग्रेड करके अपने पैरों पर ही खड़ा होने के लिए यदि आगे बढ़ाएं तो आज हजारों युवक हमारी इस ट्रेनिंग से जुड़े हुए हैं। आप आश्चर्य करेंगे कि प्रभावित जिलों के कक्षा 11-12 के बच्चों को हम रायपुर लाए और उनको स्पेशल कोचिंग दी, उनमें से 150 बच्चे राष्ट्रीय स्तर पर कम्पटीशन में सेलेक्ट हुए हैं। आईटीआई और दूसरे कॉलेजों में उनका सलेक्शन हुआ है। जो बच्चे कभी रायपुर नहीं देखे थे, जब उनके जीवन में परिवर्तन आया तो उनके घरवालों को लगता है कि सरकार उनके लिए सोच रही है। इस साल मुझे लगता है कि इसी संस्था में हजारों बच्चे सलेक्ट होंगे। एक प्रकार वातावरण है शिक्षा का, विकास का। उससे लगता है कि विकास ही हर बात का जवाब है, शिक्षित करना ही समस्याओं का जवाब है। 5 साल की यात्रा के बीते 3 साल में हम कह सकते हैं कि इस दिशा में काफी आगे बढ़े हैं, और इसमें हमें जनता का सहयोग भी मिला है।
वासिन्द्र मिश्र- इस राज्य की जो सबसे बड़ी ताकत है वो नेचुरल रिसोर्सेज का है। जो प्राकृतिक संपदा का सही मायने में दोहन होना चाहिए और वहां के लोगों को इसका सीधा लाभ नहीं मिल पा रहा है। आरोप है कि सरकार बड़े बिजनेस घरानों को खुश करने के लिए पर्यावरण के नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं तथा लोकल मुद्दों की अनदेखी की जाती है और इस तरह प्राकृतिक संपदा का दोहन तो हो रहा है लेकिन इसका सीधा फायदा स्थानीय आम जनता को नहीं मिल पा रहा है?
रमन सिंह- हमारे बारे में देश के लोगों की इस गलतफहमी को दूर करना चाहूंगा कि जो हमारे खनिज संसाधन हैं उनका बड़ा शेयर भारत सरकार के पीएसयू का है। पूरा हमारा जो कोल है, कोल का 80% शेयर भारत सरकार के पीएसयू के पास है। इसी तरह हमारे लौह अयस्क का भी 90 फीसदी हिस्सा भारत सरकार के पीएसयू के पास ही है। प्राइवेट प्लेयर्स जो यहां दूसरे राज्यों से आकर ट्रेडिंग करते हैं। तो हमने फर्स्टडे से ही ये पॉलिसी बनाई कि छत्तीसगढ़ का जो खनिज है उसका वैलिडेशन स्टेट के अंदर ही होना चाहिए और हमने एक भी प्राइवेट ट्रेडर को इस 9 साल के अंदर छत्तीसगढ़ में एन्ट्री नहीं दी। हमारे यहां से पत्थर तोड़कर बाहर बेचेगा उसकी वैलिडेशन स्टेट के अंदर ही होगा। और उसे ही हमने परमिट दिया जिसका प्रदेश में प्लान्ट है। यहां सारा काम भारत सरकार के पीएसयू कर रहे हैं अगर कोई स्टील प्लान्ट लगाता है तो उसको लौह अयस्क देना है। प्राइवेट प्लेयर का बढ़ा छोटा शेयर है। कोल में भी हम उनको रिकमेंड करते हैं जो यहां पावर प्लान्ट लगाने के लिए आ रहे हैं और ये मेजर मिनरल 100% इसको बांटने की जिम्मेदारी भारत सरकार करती है। छत्तीसगढ़ स्टेट का कोई भी रोल नहीं है वैलिडेशन विदइन स्टेट पॉलिसी की देश भर में चर्चा हुई। एनएमडीसी को हमने मजबूर किया कि वो बस्तर में अपना प्लान्ट लेकर आएं। 30 साल तक यहां पत्थर तोड़ कर यहां चीन जापान और कोरिया भेजते रहे। अब वो 3 मिलियन टन का एक स्टील प्लान्ट लेकर आ रहे हैं। 12-15 हजार करोड़ का इनवेस्टमेंट करने जा रहे हैं। ये संतुष्टि होती है कि हमारा खनिज सिर्फ बाहर भेजने के लिए नहीं है और हमने इस बात को केंद्रीय स्तर पर उठाया। प्रधानमंत्री जी से कहा, खनिज मंत्री से कहा कि यहां पर जो खनिज है इसका उपयोग करें। हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। दूसरे जो एरिया में इनवेस्टर हैं उनके लिए हमने कोल ब्लॉक रिकमंड किया लेकिन आखिरी फैसला भारत सरकार ही करती है। बहुत पारदर्शी तरीके से हमने इस पॉलिसी का क्रियान्यवयन किया है। उम्मीद करते हैं कि ये पॉलिसी अगर पूरे देश में लागू हो तो सारे झंझट खत्म हो जाएंगे।
वासिन्द्र मिश्र- राज्य बिजली के मामले में बाकी राज्यों से काफी आगे है। आत्मनिर्भर है, सरप्लस बिजली है प्रदेश के पास लेकिन उसके साथ में ये भी है बिजली सबसे ज्यादा उत्पादित की जा रही है लेकिन रेट भी ज्यादा है। क्या कोई तालमेल बनाने की कोशिश है?
रमन सिंह- छत्तीसगढ़ की अच्छी बात ये है कि ये देश का पावर हब है और हिंदुस्तान में कोई राज्य ये नहीं कह सकता कि हम 24 घंटे बिजली देने की स्थिति में हैं फिर चाहे उद्योग या खेती। उत्तर प्रदेश और बिहार में 10-12 घंटे बिजली कटौती है। जब पूरा नेशनल ग्रिड फेल्योर था तो हमने ही देश के लिए बिजली दिया था, तो हम बिजली का बेहतर उपयोग भी कर रहे हैं और बेहतर उत्पादन भी। एक हमारा 500 मेगावाट का प्लांट शुरू हुआ है। आने वाले 4-6 महीनों में 2 पॉवर प्लांट हमारे आ जाएंगे। एडिशनल 1500 मेगावाट पॉवर जनरेशन हम करने जा रहे हैं। ट्रांसमिशन, डिस्ट्रीब्यूशन और जेनरेशन में कुल मिलाकर 20000 करोड़ का निवेश छत्तीसगढ़ में इस सेक्टर में हो रहा है और ये छत्तीसगढ़ की खुशहाली के लिए है। किसानों के लिए है, हम किसानों को भी पूरी बिजली देते हैं। कोई भी राज्य अपने किसानों को 8 घंटे से ज्यादा बिजली नहीं देता, अकेला छत्तीसगढ़ जहां किसानों को पूरी बिजली मिलती है। एवरेज रेट ही अगर देखें तो दिल्ली में करीब 6, बिहार, गुजरात में 5 से ज्यादा है तो छत्तीसगढ़ में एवरेज 4.60 रुपए है। हिंदुस्तान के किसी भी राज्य में किसी भी सेक्टर में इससे सस्ती बिजली नहीं है। हमने अपने तीन लाख कनेक्शन को 7.50 हजार यूनिट बिजली फ्री भी दे रहे हैं। हमारे 14 लाख से ज्यादा एकल बत्ती कनेक्शन हैं। SC-ST को हम फ्री बिजली देते हैं। एक तरह से छत्तीसगढ़ का वरदान है बिजली। और पावर की वजह से प्रदेश खेती में भी देश में सबसे आगे है। नेशनल एग्रीकल्चर एंड एलाइड ग्रोथ 1.8% है और हमारा ग्रोथ करीब 6% का है और ये लगातार बना हुआ है। इस साल हमने 71 लाख मिलियन टन धान पैदा किया। 9000 करोड़ का धान खरीदा, 1900 करोड़ का बोनस दिया। किसानों के घर में खुशहाली आई है। पर कैपिटा इनकम में बढ़त हुई है। प्रतिव्यक्ति बिजली खपत में गुजरात के बाद से छत्तीसगढ़ देश मे सबसे आगे है।
वासिन्द्र मिश्र- इतनी सारी उपलब्धियां हैं। क्या इन उपलब्धियों के आधार पर आपको लगता है कि चुनावों में आपको तीसरी बार कामयाबी मिलेगी। किसको आप मानते हैं कि आपको टक्कर देगा?
रमन सिंह- छत्तीसगढ़ में दो राजनीतिक दल हैं बीजेपी और कांग्रेस। पर जो कांग्रेस की हालत दिल्ली में है, मनमोहन और सोनिया ने जो देश की हालत की है, महंगाई बढ़ी है। सभी चीजों की कीमतों में इजाफा हुआ है। आम लोगों का जीवन महंगाई से प्रभावित है, कांग्रेस की हालत दिल्ली से लेकर रायपुर तक खराब है। आने वाले चुनाव में छत्तीसगढ़ में बीजेपी की विजय होगी। बीजेपी पहले से और मजबूत हुई है। आने वाले चुनावों में जनता फिर से बीजेपी को समर्थन देगी।
वासिन्द्र मिश्र- जैसे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को राजनीतिक विरोधियों से ज्यादा पार्टी के अंदर के लोगों से जूझना पड़ता है। आपके राज्य में भी ऐसा ही सुनने को मिल रहा है कि आपके तमाम सीटिंग एमएलए भी विरोधी गतिविधियों में लगे हैं, तो क्या आप ऐसे विधायकों का नाम काटने पर सोच रहे हैं?
रमन सिंह- चुनाव के दौरान टिकट का वितरण, चुनाव से पहले पार्टी का सर्वे ये सारी बातें हम पार्टी संगठन पर छोड़ते हैं। ये सारे मुद्दे हमारे प्रदेश के और राष्ट्रीय नेताओं के हाथ भी रहते हैं। कोशिश करेंगे कि वह हम सही लोगों को ही चुनावों में टिकट देंगे।
First Published: Monday, April 1, 2013, 11:35