अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने से फैल सकती है मीथेन

अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने से फैल सकती है मीथेन

अंटार्कटिका में बर्फ पिघलने से फैल सकती है मीथेनलंदन : अंटार्कटिका में बर्फ की चादर के पिघलने से उसमें जमा अरबों टन ग्रीनहाउस गैस मीथेन वातावरण में उत्सर्जित हो सकती हैं, जिससे ग्लोबल वार्मिग का खतरा बढ़ जाएगा।

ऑक्सीजन के अभाव में बेसिन में मौजूद सूक्ष्मजीव जैविक पदार्थो को मीथेन में बदल सकते हैं।

शोधकर्ताओं के अनुसार पश्चिमी अंटार्कटिका की 50 फीसदी बर्फ की चादर में और पूर्वी अंटार्कटिका की 25 फीसदी बर्फ की चादर में 21000 अरब टन ऑर्गेनिक कार्बन छिपा है।

शोधदल के प्रमुख एवं ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जे.एल. वाधम ने कहा, हमारे शोध में सामने आया है कि ये हिम वातावरण जैविक रूप से सक्रिय होते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि सूक्ष्मजीव सम्भवत: इन ऑर्गेनिक कार्बन को उपापचयी क्रियाओं द्वारा कार्बन डाई आक्साइड एवं मीथेन में बदल रहे हैं।

विश्वविद्यालय की एक अन्य वैज्ञानिक सांद्रा एरडंट ने कहा, इसलिए यदि आप बर्फ की चादर के नीचे बड़ी मात्रा में मीथेन हाइड्रेट का स्रोत पाएं तो आपको आश्चर्यचकित नहीं होना चाहिए।

यदि बर्फ की चादर के नीचे पर्याप्त मात्रा में मीथेन हाइड्रेट एवं मीथेन गैस मौजूद है। बर्फ की चादर के पिघलने पर मीथेन के वातावरण में घुलने से ग्लोबल वार्मिग में वृद्धि होगी। (एजेंसी)

First Published: Friday, August 31, 2012, 09:00

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