Last Updated: Saturday, February 23, 2013, 12:30

नई दिल्ली : फिल्म ‘तेजाब’ के गीत ‘एक दो तीन..’ पर थिरकती माधुरी दीक्षित पूरे 30 दिन के इंतजार की कहानी बताती हैं, लेकिन जरा सोचिये कि अगर कैलेंडर नहीं होता तो क्या ‘तेजाब गर्ल’ 30 दिन का हिसाब रख पातीं। जरा सोचिये, कैलेंडर के बिना भूतकाल या भविष्यकाल की योजनाएं और त्यौहारों की तैयारी कैसे होती।
‘कैलेंडर की जरूरत इसी बात से समझी जाती है कि हर व्यक्ति के पास आज मोबाइल फोन है और हर मोबाइल फोन में कैलेंडर है।’ ‘जिंदगी में एक कैलेंडर की वही अहमियत है, जो घड़ी की है। समय को अपने दायरे में समेटने वाला आधुनिक कैलेंडर कई अहम पड़ावों से होकर गुजरा है और बार-बार सुधार की प्रक्रिया के बाद हमें वह कैलेंडर मिल पाया है, जो हमारे जीवन की विभिन्न प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है।
‘वर्तमान कैलेंडर कई पुराने प्रकार के कैलेंडरों का मिश्रण है। इसमें मिस्र, रोमन और जूलियन कैलेंडर की अलग-अलग विशेषताएं शामिल हैं।’ ‘मिस्र निवासियों ने 12 महीने का कैलेंडर बनाया था, और हर महीने में 30 दिन थे, जिससे साल पूरा हो रहा था। बाद में मिस्र वासियों ने इस कैलेंडर में साल के अंत में पांच दिन और जोड़े, ताकि सौर वर्ष के मुताबिक, पूरे दिन इसमें शामिल किए जा सकें।’ मिस्र सहित कुछ देशों में 24 फरवरी का दिन कैलेंडर के लिए समर्पित है।
डॉ. आर सी जैन फरवरी माह में 28 और 29 दिन होने के पीछे रोमन कैलेंडर के सिद्धांत को कारण बताते हैं। डॉ. जैन के मुताबिक, ‘रोमन कैलेंडर में भी 12 महीने का साल था, लेकिन इसकी शुरूआत मार्च से होती थी। बाद में रोम के लोगों ने जनवरी को पहला महीना बनाया।’
उन्होंने बताया, ‘रोम के लोगों ने बाद में, महीनों को सही बैठाने के लिए उनके बीच 29 दिन का अंतर रखा। इन्हीं लोगों ने फरवरी को छोटा करके लीप वर्ष की अवधारणा को इसमें शामिल किया। हालांकि इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं है कि उन्होंने ऐसा क्यों किया।’ डॉ. जैन को लगता है कि इस लीप वर्ष को सौर और चंद्र कैलेंडर के हिसाब से दिन निर्धारित करने के लिए डाला गया होगा।
डॉ. प्रतिमा बताती हैं, ‘जूलियस सीजर ने एक खगोलविद सोसिजेंस एलेंग्जेंडरिया से बेहतर कैलेंडर सुझाने को कहा, जिन्होंने कैलेंडर में सममिति लाने के लिए दिनों को 30 और 31 दिनों के बीच बांटा। इसके अलावा उन्होंने ही दिनों की गणना करते हुए फरवरी को 28 दिन का बनाया और इस तरह अलग-अलग कैलेंडरों से मिल कर आधुनिक कैलेंडर अस्तित्व में आया।’ मनीष कहते हैं ‘चीनी कैलेंडर बिल्कुल अलग होता है। उनका नव वर्ष अलग होता है और उनकी गणनाएं भी अलग होती हैं। हमारे यहां भी कैलेंडर अलग अलग होते हैं। ज्योतिषीय गणनाएं सूर्य आधारित और चंद्र आधारित होती हैं और हमारे देश के कैलेंडर में यह बातें मुख्य होती हैं।’ गौरतलब है कि 24 फरवरी को कैलेंडर डे मनाया जाता है।
(तस्वीर के लिए साभार डिपोजिटफोटोज.कॉम)
(एजेंसी)
First Published: Saturday, February 23, 2013, 12:23