Last Updated: Saturday, May 26, 2012, 21:21
बालेश्वर (ओड़िशा) : भारत ने आज स्वदेश निर्मित सतह से हवा में मार करने वाली ‘आकाश’ मिसाइल का चांदीपुर के एकीकृत परीक्षण स्थल (आईटीआर) से प्रायोगिक परीक्षण किया। 24 मई के सफल परीक्षण के बाद आकाश का यह दूसरा परीक्षण है।
आकाश मिसाइल परियोजना से जुड़े रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधिकारियों ने बताया, परीक्षण नियमित हवाई रक्षा अभ्यासों का हिस्सा है। विमान भेदी मिसाइल की प्रौद्योगिकी और संचालन क्षमता को सुदृढ़ करने के लिए रक्षा बलों ने आईटीआर के साजो सामान की मदद से परीक्षण किया। इसी परीक्षण स्थल से 24 मई को आकाश का सफल प्रायोगिक परीक्षण किया गया था।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि यह मिसाइल 25 किलोमीटर की दूरी तक मार कर सकती है और अपने साथ 60 किलोग्राम तक के आयुध ले जा सकती है। इसे एक मोबाइल लांचर से पूर्वाह्न 11 बजकर 10 मिनट पर छोड़ा गया। उन्होंने कहा, परीक्षण के दौरान मिसाइल ने समुद्र के उपर एक निश्चित उंचाई पर हवा में उड़ती वस्तु को निशाना बनाया जो एक पायलट रहित विमान के सहारे उड़ रही थी। विमानभेदी रक्षा प्रणाली ‘आकाश’ इलेक्ट्रानिक्स एवं राडार विकास प्रतिष्ठान द्वारा विकसित ‘राजेंद्र’ राडार की मदद से समानांतर रूप से अनेक लक्ष्यों को निशाना बना सकती है ।
इलेक्ट्रानिक्स एवं राडार विकास प्रतिष्ठान डीआरडीओ की बेंगलूर स्थित एक प्रयोगशाला है। ‘राजेंद्र’ राडार लक्ष्य का पता लगाकर मिसाइल को इसे मार गिराने के लिए निर्देशित करता है।
देश के एकीकृत गाडडेड मिसाइल विकास कार्यक्रम (आईजीएमडीपी) के तहत आकाश का विकास 1990 के दशक में हुआ था। अनेक परीक्षणों के बाद इसे 2008 में सशस्त्र बलों में शामिल किया गया। डीआरडीओ आकाश के वायु सेना संस्करण का भी विकास कर रहा है।
‘राजेंद्र’ एक साथ बहुत से कार्यों को अंजाम देने वाला राडार है। यह एक साथ 64 लक्ष्यों का पता लगा सकता है और समानांतर रूप से 12 मिसाइलों को नियंत्रित कर सकता है। रक्षा विशेषज्ञों ने आकाश मिसाइल प्रणाली की तुलना अमेरिका की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल ‘एमआईएम 104 पैट्रियट’ से की है।
उनका दावा है कि एमआईएम 104 की तरह ही आकाश भी मानव रहित विमानों, लड़ाकू विमानों, क्रूज मिसाइलों और हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को निष्क्रिय कर देने में सक्षम है। (एजेंसी)
First Published: Saturday, May 26, 2012, 21:21