Last Updated: Wednesday, November 16, 2011, 11:56
कुआलालंपुर : एक संगठन का कहना है कि एचआईवी विषाणु के इलाज में रात्रिचर एशियाई छिपकली के सफल उपयोग संबंधी दावे के बाद रेंगने वाले इस जीव की तस्करी में काफी बढोत्तरी हुई है। इस संगठन का कहना है कि इस दावे से इस रेंगने वाले जीव पर खतरा पैदा हो गया है।
‘ट्रैफिक साउथईस्ट एशिया’ ने एक रिपोर्ट में कहा कि हाल के वर्षों में एशियाई छिपकलियों की मांग तेजी से बढ़ी है क्योंकि ऑनलाइन ब्लागों, अखबार के लेखों और वन्यजीवन से जुड़े लोगों ने एचआईवी के इलाज में करिश्माई फायदे के लिए छिपकली की जीभ और शरीर के अंदर के अंगों के सेवन पर जोर दिया।
संगठन ने कहा कि इस तरह के दावे सही नहीं हैं। फिलीपीन्स की सरकार ने भी जुलाई में चेताया था कि एड्स और नपुंसकता के इलाज में छिपकली का उपयोग मरीजों को जोखिम में डाल सकता है। ट्रैफिक के क्षेत्रीय उपनिदेशक क्रिस आर शेफर्ड ने कहा कि उनका संगठन इन छिपकलियों के बड़े पैमाने पर व्यापार से चिंतित है। अगर यह व्यापार जारी रहा तो इनकी संख्या को फिर से ठीक करने में वर्षों लग सकते हैं।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 16, 2011, 17:27