Last Updated: Friday, May 24, 2013, 13:17
ज़ी मीडिया ब्यूरोनई दिल्ली: भयंकर गर्मी से लोग बेहाल है। उसका असर ना सिर्फ इंसानों और सभी जीवों पर बल्कि इसका असर अब तकनीकी संसाधनों पर भी दिखाई देना शुरू हो गया है। जानकारों के मुताबिक बढ़ते तापमान से एक्स-रे की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है जिससे सही-सही एक्स-रे रिपोर्ट देख पाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
एक्सरे के लिए कमरे का पूरी तरह एयर कंडीशंड होना जरूरी होता है। कमरे का तापमान, एसी का तापमान इन सबका एक प्रभाव होता है और यह सब कुछ कमरे में रखे एक्स-रे की मशीनों के लिए जरूरी होता है ताकि परिणाम बेहतर हासिल हो सके। यह भी जरूरी होता है कि अगर कोई मरीज अंदर जाए तो उसका तापमान गर्मी के थपेड़ों की वजह से इतना ज्यादा भी ना हो कि उससे एक्सरे का परिणाम ही प्रभावित हो जाए।
जानकारों के मुताबिक बढ़ते तापमान की वजह से एक्सरे रिपोर्ट की जो गुणवत्ता होनी चाहिए उसमें कमी नजर आ रही है। एक्सरे फिल्म देखने के बाद इसका पता चलता है की गुणवत्ता में कितना फर्क आ रहा है। रेडियोग्राफर के मुताबिक अगर कमरे का तापमान 45-46 डिग्री तापमान चल रहा हो तो एक्सरे की गुणवत्ता पर असर दिखाई पड़ना लाजिमी है।
First Published: Friday, May 24, 2013, 13:17