Last Updated: Tuesday, June 4, 2013, 18:14

जोहानिसबर्ग : भारत नौकरशाही बाधाओं के चलते जलवायु परिवर्तन से निपटने की अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में चीन की तुलना में पीछे रह गया है। एक विशेषज्ञ ने यहां बताया कि दुनिया के सबसे बड़े प्रदूषक चीन का इस सिलसिले में बेहतर रेकार्ड है।
एनर्जी सर्विसेज कंपनी (एस्को) के दिलीप लिमये ने उद्घाटन इंटरनेशनल एस्को फाइनेंस कांफ्रेंस में एक पत्र प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत सरकार ने कई पहल किए हैं जो कागज पर तो अच्छे लग रहे हैं लेकिन वास्तविकता के धरातल पर कोई सुधार नहीं हुआ है, यही इस संदर्भ में भारत और चीन के बीच फर्क है।
अमेरिका आधारित एवं भारतीय मूल के लिमये ने लागू करने की रणनीति में इस दक्षिण एशियाई देश की मनोदशा को इस हालात के लिए जिम्मेदार वजह बताया। उन्होंने कहा कि चीन ने ग्लोबल वार्मिंग से निपटने में वैकल्पिक उर्जा को लागू करने की कोशिशों में भारत की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।
उन्होंने कहा कि चीन दुनिया में सबसे बड़ा प्रदूषक है, अमेरिका से भी ज्यादा लेकिन कम से कम वे कोशिश कर रहे हैं। जब वे पांच साल की समय सीमा निर्धारित करते हैं तो वे उसे पूरा भी करते हैं।
लिमये ने कहा कि भारत में रणनीति है, योजना है, कोष भी उपलब्ध है लेकिन समस्या यह है कि वे कोष का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि भारत में हमने ‘स्वच्छ उर्जा कोष’ बनाया है जो प्रति टन कोयले पर 50 रूपया शुल्क पर आधारित है। वे हर साल तीन से चार हजार करोड़ रूपये एकत्र कर रहे हैं। उनके पास अब छह से आठ हजार करोड़ रूपये हैं लेकिन उन्होंने इसका इस्तेमाल नहीं किया। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 4, 2013, 18:14