Last Updated: Monday, July 16, 2012, 11:05

मेलबर्न: माहौल का गर्भ में पल रहे बच्चे के जीन पर गहरा प्रभाव पड़ता है और समरूप जुड़वां बच्चों में अंतर स्थापित करने में इसकी अहम भूमिका हो सकती है।
मडरेक बाल अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों की ओर से कराये गए शोध में यह बात सामने आई है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने जन्म के समय के गर्भनाल, गर्भनाल के रक्त आदि की मदद से समरूप और असमान जुड़वां बच्चों के समूह के डीएनए का अध्ययन किया।
दल ने पाया कि हालांकि समरूप जुड़वां बच्चों में एक ढेर में डीएनए होते हैं लेकिन जीनों को सक्रिय या निष्क्रिय करने वाले रसायनिक संकेतक अलग अलग होते हैं।
इस प्रक्रिया को ‘इपीजेनेटिक्स’ कहते हैं जिसमें जीन की गतिविधि और सामान्य विकास से जुड़े प्रभावों एवं मधुमेह एवं हृदय रोग आदि की स्थिति का आकलन किया जाता है।
एमसीआरआई के शोधार्थी जेफ क्रेग ने कहा, ‘ यह बात पिछले कुछ समय से ज्ञात है कि समरूप जुड़वां बच्चें जिनके डीएनए का क्रम समान होता है, वह देखने में अलग अलग होते हैं और उनका व्यवहार एवं स्वास्थ्य की स्थिति अलग अलग होती है।’ उन्होंने कहा, ‘ दुर्लभ मामलों में ही अनुवांशिक विभिन्नता पायी जाती है लेकिन इससे सभी बातें स्पष्ट नहीं होती है। ’ क्रेग ने कहा कि अध्ययन से यह बात स्पष्ट हुई है कि माहौल का गर्भ में पल रहे बच्चे के जीन पर गहरा प्रभाव पड़ता है और समरूप जुड़वां बच्चों में अंतर स्थापित करने में इसकी अहम भूमिका हो सकती है।
एक अन्य शोधार्थी रिचर्ड सेफरी ने कहा कि इस अध्ययन से डाक्टरों को जीवन के शुरूआत में ही बीमारियों के बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 16, 2012, 11:05