Last Updated: Friday, November 23, 2012, 14:22

पेरिस : शोधकर्ताओं ने लगभग 92 लाख साल पहले ज्वालामुखी विस्फोट से निकले गुबार में मारे गए एक गैंडे की खोपड़ी की पहचान की है। इस खोज को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस तरह के दो फीसदी से भी कम जीवाश्म ही सुरक्षित हैं। फ्रांस के मोन्टपेलिअर विश्वविद्यालय के शोधकर्ता पियरे-ओलिविअर एन्टोइन और उनके साथियों ने तुर्की में इस खोपड़ी की खोज की है। माना जा रहा है कि यह जीवाश्म दो सिंगो वाले गैंडों का है, जो उस दौर में पूर्वी मेडीटेरेनियन क्षेत्र में पाए जाते थे।
शोध पत्रिका `पब्लिक लाइब्रेरी ऑफ साइंस वन` में प्रकाशित रपट के मुताबिक शोधकर्ताओं का कहना है कि असामान्य विशेषताओं वाली खोपड़ी के अध्ययन से पता चलता है कि जीव की मौत ज्वालामुखी विस्फोट में 500 डिग्री सेल्सियस ऊंचे तापमान में जलने से हुई होगी। गैंडे की भयानक मौत तुरंत हो गई होगी और उसके बाद उसके शरीर से काफी मात्रा में जल निकल गया होगा। शोधकर्ताओं का कहना है कि उसका शरीर लगभग 400 डिग्री सेल्सियस तापमान में जलकर टुकड़ों में बंट गया होगा और खोपड़ी अलग हो गई होगी।
ज्वालामुखी के गुबार के साथ खोपड़ी बहकर घटनास्थल से दूर मोंटपेलिअर तक आ गई होगी जहां से इसे शोधकर्ताओं की टीम के द्वारा खोजा गया। (एजेंसी)
First Published: Friday, November 23, 2012, 14:22