तकनीक बदल सकती है बच्चों की दिमागी सरंचना

तकनीक बदल सकती है बच्चों की दिमागी सरंचना

तकनीक बदल सकती है बच्चों की दिमागी सरंचनामेलबर्न : विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि डिजिटल क्रांति बच्चों के दिमाग की संरचना को बदल सकती है और वयस्कों में यह मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को पैदा कर सकती है।

समाचार ‘द एज’ में प्रकाशित समाचार में कहा गया है कि वैज्ञानिकों को इस बात की चिंता सताने लगी है कि तकनीक हमारे जीवनशैली को बदलने के साथ ही लोगों को बीमार भी बना रही है।

रायल चिल्ड्रंस हास्पिटल सेंटर फोर ऐडोलसेंट हेल्थ के प्रोफेसर जार्ज पैटन ने बताया, मैं देखता हूं कि बच्चे पूरा-पूरा दिन इलेक्ट्रोनिक मीडिया या गैजेट्स के संपर्क में रहते हैं और यह निश्चित रूप से एक समस्या है।

उन्होंने कहा, किशोरावस्था के इन वर्षों में जब मस्तिष्क विकास और रिश्तों और भावनाओं के संबंध में सूचनाओं को खंगालना सीखने के बेहद सक्रिय चरण में होता है तो उस चरण में इलेक्ट्रोनिक जगत में उलझे रहने से बाद में जाकर इन बच्चों को गंभीर दिमागी समस्याएं हो सकती हैं।

कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि फेसबुक जैसी सोशल मीडिया पर दिनभर लगे रहने से बच्चों में हाईपर एक्टिविटी और ओबसेसिव कम्पलसिव डिस्आर्डर जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।

कैलिफोर्निया स्थित मनोचिकित्सक लैरी रोसेन कहती हैं कि भावी पीढ़ियां ‘आई डिस्आर्डर’ से पीड़ित होंगी जिसमें ध्यान केंद्रित करने में बाधा, व्यक्तिगत विकार आदि समस्याएं होंगी और यह सब सोशल मीडिया, स्मार्टफोन तथा कम्प्यूटर्स के अधिक इस्तेमाल की वजह से होगा।

आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की वैज्ञानिक सुसेन ग्रीनफील्ड इस बात पर चिंता जताते हुए कहती हैं कि यह भावी पीढ़ियों और मानवता के लिए जलवायु परिवर्तन से कहीं अधिक बड़ी चुनौती है। (एजेंसी)

First Published: Monday, October 15, 2012, 23:09

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