दर्द निवारण का नया तरीका खोजा गया

दर्द निवारण का नया तरीका खोजा गया

दर्द निवारण का नया तरीका खोजा गया
सिडनी : चोट ठीक करने की शारीरिक प्रक्रिया के एक महत्वपूर्ण चरण की खोज की गयी है जो दर्द निवारण का एक नया मार्ग प्रशस्त कर सकता है। बीमारी या संक्रमण के प्रति शरीर की प्रतिरोधक क्षमता की प्रतिक्रियास्वरूप दर्द होता है।

मोनाश विश्वविद्यालय के ऑस्ट्रेलियन रीजेनेरेटिव मेडिसिन इंस्टिट्यूट (एआरएमआइ) के नेतृत्व वाली एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने इस प्रक्रिया की खोज की है। यह प्रक्रिया चोट के प्रति शरीर की दर्द रूपी प्रतिक्रिया को शुरू करने वाले सिग्नल को बंद कर देती है।

शोध पत्रिका करेंट बायलॉजी की रिपोर्ट के मुताबिक जब शरीर में चोट लगती है तब श्वेत रक्त कणिकाएं या ल्यूकोसाइट ऊतक को संक्रमण से बचाने के लिए वहां पहुंच जाती हैं और चोट को ठीक करना शुरू कर देती हैं। शोधार्थियों ने जब एक सूक्ष्मदर्शी से छोटी पारदर्शी जेबरा मछली का अवलोकन किया तो वे श्वेत रक्त कणिका को देख पाए। उन्होंने यह भी देखा कि चोट ठीक होने के दर्द वाले चरण में यह किस प्रकार कार्य करती है।

विश्वविद्यालय के वक्तव्य के अनुसार दर्द का यह चरण कुछ समय के लिए ही होता है। यदि शरीर दर्द वाले चरण को बहुत समय तक चलने दे तो उससे चोट ठीक करने वाला अगला चरण प्रभावित होता है।

पिछले शोधों में उस शुरुआती सिग्नल का पता चला था जो ल्यूकोसाइट को चोट वाले स्थान तक बुलाती हैं, लेकिन यह शुरूआती सिग्नल बंद कैसे होता है इस बात की जानकारी नहीं मिली थी। शोध का नेतृत्व करने वाले एआरएमआइ के प्रोफेसर ग्राहम लाइश्के ने बताया, ताजा खोज दर्शाती हैं कि म्येलोपेरॉक्सिडेज़ नामक एक एंजाइम इस प्रक्रिया की कुंजी है, जिसकी कमी प्रत्येक 2000 पर एक व्यक्ति में ल्यूकोसाइट के कार्य को प्रभावित करती है।

लाइश्के ने कहा कि मरम्मत, निशान पड़ने और चोट ठीक होने की प्रक्रिया में संतुलन सुनिश्चित करने में श्वेत रक्त कणिकाओं की गतिविधि महत्वपूर्ण है। हमारे शोध ने दर्द निवारक दवाओं को लक्षित करने के लिए एक नया रास्ता खोजा है। नए इलाज खोजने की बहुत जरूरत है क्योंकि मौजूदा दवाएं सभी परिस्थितियों में कारगर नहीं हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, September 4, 2012, 08:52

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