Last Updated: Monday, July 1, 2013, 21:16

वाशिंगटन: वैज्ञानिकों ने एक प्रणाली स्थापित की है जिससे यह खुलासा होता है कि किस तरह भावनाएं मनुष्य की श्रवण और ध्वनि प्रक्रिया से संबद्ध होती है। यह बात एक अध्ययन में दी गई है। जब निश्चित प्रकार की ध्वनियां हमारे मस्तिष्क में मजबूत भावनाओं से संबद्ध हो जाती हैं तब उसी तरह की ध्वनि को सुनकर ठीक वैसी ही अनुभूति होती है। भले ही सुनी गई ध्वनि अपने वास्तविक परिप्रेक्ष्य से अलग क्यों न हो।
इस तरह का लक्षण आम तौर पर पोस्ट-ट्राउमैटिक स्ट्रेस डिसआर्डर (पीटीएसडी) से पीड़ित योद्धाओं में देखने को मिलता है। ऐसे लोगों में युद्धभूमि की डरावनी स्मृतियां तूफान की आवाज से जीवित हो सकती हैं।
साइंस डेली के मुताबिक, लेकिन इस तरह की संबद्ध समस्या को उत्पन्न करने के लिए जिम्मेवार दिमाग की प्रणाली का अभी तक पता नहीं चल पाया है।
पेन्सल्वेनिया विश्वविद्यालय के पेरेलमन स्कूल ऑफ मेडिसीन के अनुसंधानकर्ताओं ने अब यह पता लगाया है कि डर का घटना या बढ़ना परिप्रेक्ष्य के हिसाब से ध्वनियों के बीच अंतर समझने की क्षमता पर निर्भर हो सकता है। इस खोज से पीटीएसडी से पीड़ित मरीजों के उपचार में मदद मिल सकती है। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 1, 2013, 21:16