`नर्मदा घाटी पर था डायनोसोरों के आखिरी वंशजों का राज`

`नर्मदा घाटी पर था डायनोसोरों के आखिरी वंशजों का राज`

`नर्मदा घाटी पर था डायनोसोरों के आखिरी वंशजों का राज` इंदौर : मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी में बिखरे ‘जुरासिक खजाने’ को ढूंढ निकालने वाले एक खोजकर्ता समूह ने दावा किया है कि इस भौगोलिक क्षेत्र में करीब साढ़े छह करोड़ साल पहले डायनोसोरों के आखिरी वंशजों का राज था। ये डायनोसोरों की वह अंतिम संतति थी, जो कुदरत के तमाम क्रूर हमलों से बचते हुए कम से कम 5,000 साल तक अपना वजूद बनाये रखने में कामयाब रही थी।

‘मंगल पंचायतन परिषद’ के प्रमुख विशाल वर्मा ने बताया, हमें यहां से करीब 100 किलोमीटर दूर मांडू के नजदीक निमाड़ अंचल के तराई के इलाकों में डायनोसोरों के आखिरी वंशजों की हड्डियों के जीवाश्म मिले हैं। सौरोपॉड परिवार से ताल्लुक रखने वाले डायनोसोरों के ये आखिरी वंशज शाकाहारी थे।’ खोजकर्ता समूह के प्रमुख ने कहा, ‘करीब साढ़े छह करोड़ साल पहले ज्वालामुखी विस्फोटों से लावे के भयंकर प्रवाहों और अन्य भौगोलिक हलचलों के चलते पृथ्वी से डायनोसोरों का लगातार खात्मा हो रहा था। लेकिन कुछ डायनोसोर खुशकिस्मत थे, जो कुदरत की क्रूर विभीषिकाओं से बचते.बचाते 5,000 से 10,000 साल तक इस ग्रह पर अपना अस्तित्व सुरक्षित रखने में कामयाब रहे थे।’ वर्मा के मुताबिक नजदीकी धार जिले के मांडू के पास भी डायनोसोरों के इन्हीं आखिरी वंशजों की बादशाहत थी। यह इलाका फिलहाल नर्मदा घाटी का हिस्सा है और पृथ्वी के उन दुर्लभ भू-भागों में शामिल है, जो डायनोसोरों की ‘अंतिम चहलकदमी’ के गवाह रहे हैं।

वर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश की नर्मदा घाटी समेत भारत के मध्यवर्ती इलाकों में भौगोलिक हलचलों के दौरान लम्बे समय तक बैसाल्टिक लावे के तीव्र और विस्तृत प्रवाह, भीषण उष्मा विकिरणों और मौसम के बेहद असामान्य बदलावों के कारण डायनोसोरों का वजूद खत्म हुआ। ‘मंगल पंचायतन परिषद’ ने तब पहली बार दुनिया भर का ध्यान खींचा था, जब इस खोजकर्ता समूह ने वर्ष 2007 के दौरान नजदीकी धार जिले में डायनोसोर के करीब 25 घोंसलों के रूप में बेशकीमती जुरासिक खजाने की चाबी ढूंढ निकाली थी।

वर्मा के मुताबिक, उन्हें इन घोंसलों में डायनोसोर के सौ से ज्यादा अंडों के जीवाश्म मिले थे। इनमें सबसे दुर्लभ घोंसला वह है, जिसमें इस विलुप्त जीव के करीब 15 अंडों के जीवाश्म एक साथ मिले थे। उन्होंने बताया कि वह पिछले पांच सालों के दौरान डायनोसोर के 140 से ज्यादा अंडों के जीवाश्म ढूंढ चुके हैं। इनमें से करीब 25 जीवाश्म साबुत अंडों के हैं, जो तोप के वजनी गोलों की तरह दिखायी देते हैं। वर्मा ने बताया, नर्मदा घाटी में जमीन की विभिन्न परतों के नीचे तीन अलग-अलग कालखंडों के डायनोसोरों के जीवाश्म मिलते हैं। हमें धार जिले में डायनोसोरों के अंडों के जो जीवाश्म मिले हैं, वे इस विलुप्त जानवर के आखिरी वंशजों के पूर्वजों के हैं। (एजेंसी)

First Published: Sunday, September 23, 2012, 13:29

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