नर्मदा घाटी में खत्म हुए थे डायनोसोर - Zee News हिंदी

नर्मदा घाटी में खत्म हुए थे डायनोसोर

इंदौर : सहस्त्राब्दियों पहले डायनोसोर का वजूद पृथ्वी से क्यों और कैसे मिटा, इन सवालों पर दुनिया भर के वैज्ञानिक बरसों से सिर खपा रहे हैं।

 

करीब 10 साल से जारी अभियान के दौरान मिले सुरागों के आधार पर मध्यप्रदेश के एक खोजकर्ता समूह का दावा है कि जीवाश्मों के जुरासिक खजाने से समृद्ध नर्मदा घाटी के भीतर इन सवालों के जवाब छिपे हैं।

 

‘मंगल पंचायतन परिषद’ के प्रमुख विशाल वर्मा ने बताया, ‘हमें यहां से करीब 125 किलोमीटर दूर धार जिले में खोज अभियान के दौरान जो सुराग मिले हैं, वे इस बात की ओर इशारा करते हैं कि डायनोसोर कितनी बुरी मौत मारे गये थे।’ इन सुरागों के आधार पर वर्मा का अनुमान है कि जब पृथ्वी के इस हिस्से से डायनोसोर का वजूद मिट रहा था, तब तापमान में अप्रत्याशित तौर पर इजाफा हो रहा था और डायनोसोर जान बचाने के लिए किसी नम जगह को खोज रहे थे। उन्होंने कहा, ‘मौजूदा नर्मदा घाटी में उस वक्त भारी भौगोलिक उथल-पुथल के बीच पानी तेजी से भाप में बदल रहा था और जमीन में बड़ी-बड़ी दरारें बन रही थीं।’

 

वर्मा ने बताया, ‘हमें डायनोसोर के जीवाश्मों के साथ तत्कालीन दलदली क्षेत्रों में उनके पैरों के धंसने के गहरे निशान भी मिले हैं। इससे लगता है कि जानलेवा गर्मी से बचने के लिये डायनोसोर एक ऐसी झील में शरण ले रहे थे, जो तापमान में हो रहे इजाफे के चलते लगातार सूख रही थी।’ डायनोसोर के 150 से ज्यादा अंडों के जीवाश्म ढूंढने का दावा करने वाले खोजकर्ता ने बताया, ‘हमें डायनोसोर के कुछ ऐसे घोंसले भी मिले हैं, जो आधे जमीन के अंदर हैं और आधे जमीन के बाहर। कहीं.कहीं डायनोसोर की पूरी बसाहट जमीन के अंदर दबी मिली है। इससे उस वक्त की भारी भौगोलिक हलचलों का सबूत मिलता है। हमारा खोज अभियान जारी है। हमें भरोसा है कि डायनोसोर के पृथ्वी से विलुप्त होने के सवालों पर नर्मदा घाटी विस्तार से प्रकाश डाल सकती है।’

 

बहरहाल, आज यह यकीन करना बेहद मुश्किल है कि वर्तमान नर्मदा घाटी में कभी डायनासोर की सल्तनत थी। वर्मा के मुताबिक यह बात कम से कम 6.5 करोड़ साल पहले, क्रिटेसियस काल की है। उन्होंने बताया कि धार जिले में मिले अंडे सौरोपॉड परिवार के डायनोसोरों के हैं, जो 20 से 30 फुट उंचाई के होते थे। ये डायनोसोर शाकाहारी थे और तत्कालीन रेतीले इलाकों में अंडे देने आते थे।

 

‘मंगल पंचायतन परिषद’ ने तब पहली बार दुनिया भर का ध्यान खींचा था, जब इसने वर्ष 2007 के दौरान धार जिले में डायनासोर के करीब 25 घोंसलों के रूप में बेशकीमती जुरासिक खजाने की चाबी ढूंढ निकाली थी। वर्मा के मुताबिक इन घोंसलों में डायनोसोर के सौ से ज्यादा अंडों के जीवाश्म मिले थे। इनमें सबसे दुर्लभ घोंसला वह था, जिसमें इस विलुप्त जीव के 12 अंडों के जीवाश्म एक साथ मिले थे। (एजेंसी)

First Published: Sunday, December 4, 2011, 13:46

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