नाक बंद होने पर मस्तिष्क हो जाता है ज्यादा सक्रिय

नाक बंद होने पर मस्तिष्क हो जाता है ज्यादा सक्रिय

वाशिंगटन : जब कभी सर्दी-गर्मी एक साथ लगने या एलर्जी के कारण हमारी नासिका छिद्र बंद हो जाती है, तब घुटन महसूस होने लगती है और किसी गंध की अनुभूति नहीं होती, उस स्थिति में हमारा मस्तिष्क अतिरिक्त काम कर सूंघने की क्षमता को पूर्व स्थिति में ले आता है।

नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी में किए गए एक नए शोध से पता चला कि जब किसी व्यक्ति की नाक एक सप्ताह तक बंद रहती है, तब मस्तिष्क अधिक सक्रिय हो जाता है और गंध की अनुभूति दिलाने वाले मस्तिष्क के हिस्से में तेजी से बदलाव लाता है।

पत्रिका `नेचर न्यूरोसाइंस` में बताया गया है कि इस बदलाव से पता चलता है कि मस्तिष्क क्षतिपूर्ति कर इस महत्वपूर्ण अनुभूति की बाधा को दूर करता है। जब हमारी नाक खुल जाती है और हम फिर से अच्छी तरह सांस लेने लगते हैं, तब गंध की अनुभूति सामान्य स्थिति में लौट आती है।

पहले कुछ पशुओं में इस विषय पर शोध किया गया, जिससे पता चला कि गंध अनुभूति प्रणाली बोधात्मक परिवर्तन की प्रतिरोधी है, जिस कारण कोई गंध महसूस नहीं होती। यह किस तरह संभव है, यही देखने के लिए नए शोधपत्र में इस विषय पर मानव शरीर के संदर्भ में रोशनी डाली गई है। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 14, 2012, 13:52

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