Last Updated: Monday, July 8, 2013, 13:09

नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने शनिवार को जिस उपग्रह आईआरएनएसएस-1ए का सफल प्रक्षेपण किया था, उसे जियोसिंक्रोनस कक्षा में 27 डिग्री पर भूमध्यरेखा की ओर झुका दिया गया है। अधिकारियों ने यह जानकारी रविवार को दी।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने यह भी कहा कि जियोसिंक्रोनस उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएएलवी) में लगाए गए क्रायोजेनिक इंजन का परीक्षण किया जा रहा है। भारत के उपग्रह आईआरएनएसएस-1ए को भारत के अंतरिक्ष संगठन इसरो ने विकसित किया है, जिसे 1 जुलाई को कक्षा में स्थापित कर दिया गया। उपग्रह का प्रक्षेपण आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित अंतरिक्ष केंद्र से किया गया।
इस उपग्रह का कक्षा विस्तार कर्नाटक के हासन स्थित अंतरिक्ष अभियान नियंत्रण केंद्र से किया गया। इसरो के अधिकारियों ने बताया कि आईआरएनएसएस-1ए से जुड़ी सभी चीजें सामान्य हैं और उपग्रह को धीरे-धीरे जियोसिंक्रोनस कक्षा में भूमध्यरेखा से 29 डिग्री के झुकाव के साथ 55 डिग्री पूर्व की ओर ले जाया जाएगा।
भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह व्यवस्था एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नौवहन व्यवस्था है जिसका विकास भारत कर रहा है। इसका डिजाइन इस प्रकार से बनाया गया है कि वह भारत में इसे इस्तेमाल करने वालों को सही सूचना और एकदम सटीक पोजीशन की जानकारी देता है। इसका क्षेत्र सीमा से 1500 किलोमीटर तक है जिसे प्राइमरी सर्विस एरिया कहा जाता है। विस्तारित सर्विस एरिया, प्राइमरी सर्विस एरिया तथा 30 डिग्री अक्षांश दक्षिण से, 50 डिग्री उत्तर तक और 30 डिग्री देशांतर पूर्व से 130 डिग्री पूर्व तक के चतुर्भुज से घिरे क्षेत्र के मध्य पड़ेगा।
आईआरएनएसएस से दो तरह की सेवाएं मिल सकेंगी। पहली है स्टैंडर्ड पोजीशनिंग सर्विस (एसपीएस) जो सभी को उपलब्ध होगी। दूसरी सेवा रेस्टिक्टिेड सर्विस (आरएस) होगी जो सिर्फ प्राधिकृत उपभोक्ताओं को मिल सकेगी। उम्मीद की जाती है कि आईआरएनएसएस प्राइमरी सर्विस एरिया में 20 मीटर के अंदर बेहतर पोजिशनिंग एक्यूरेसी दे सकेगा। आईआरएनएसएस में दो खंड होंगे। पहला है अंतरिक्ष और दूसरा भू-खंड। आईआरएनएसएस के अंतरिक्ष खंड में सात उपग्रह होंगे इनमें से तीन भू-स्थानिक कक्षा में तथा चार जियोसिंक्रोनस कक्षा में झुके होंगे। इस तरह से आईआरएनएसएस के उपग्रह धरती की सतह से 36,000 किलोमीटर ऊंचाई पर पृथ्वी का चक्कर लगाएंगे।
आईआरएनएसएस का भू-खंड नौवहन पैरामीटर जनरेशन और ट्रांसमिशन, सेटलाइट कंट्रोल के लिए जिम्मेदार होगा। यह कंट्रोल इंटेग्रिटी मॉनीटरिंग से लेकर टाइम कीपिंग तक होगा। आईआरएनएसएस का इस्तेमाल जमीन, समुद्र और अंतरिक्ष में नौवहन तथा आपदा प्रबंधन और वाहन की ट्रेकिंग (पता लगाने) मोबाइल फोनों के एकीकरण, सही वक्त बताने, नक्शा बनाने, यात्रियों द्वारा नौवहन में मदद लेने और ड्राइवरों द्वारा विजुअल तथा वॉइस नेविगेशन के लिए किया जा सकेगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, July 8, 2013, 13:09