Last Updated: Friday, July 27, 2012, 20:44

सिडनी : समुद्री जीवन को अब धरती के बढ़ते तापमान और वायुमंडल में बढ़ रहे कार्बन के अलावा पराबैंगनी (यूवी) विकिरण से भी खतरा है। अंतर्राष्ट्रीय शोधकर्ताओं के दल के अनुसार पराबैंगनी विकिरण समुद्री जीवों और पौधों के लिए खतरा पैदा कर रहा है। दल में यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया (यूडब्ल्यूए) के समुद्री जीवन विशेषज्ञों ने दुनियाभर में समुद्री जीवों पर हुए 1784 प्रयोगों का गहनता से अध्ययन कर पराबैंगनी बी विकिरण (यूवीबी) के हानिकारक प्रभावों की मात्रा का मूल्यांकन किया।
विज्ञान पत्रिका `ग्लोबल इकोलॉजी एंड बायोजियोग्राफी` की रपट के अनुसार अभी तक पराबैंगनी विकिरण का समुद्री जीवन पर हानिकारक प्रभावों का अध्ययन नहीं किया गया था। विश्वविद्यालय के बयान के मुताबिक यूवीबी से सबसे अधिक प्रभावित होने वाले समुद्री जीवों में प्रोटिस्टा (शैवाल), सीप, क्रसटेशियन, मछली के लार्वा और अंडे शामिल हैं।
1970 के दशक से फ्लोरोकार्बन यौगिकों के निरंतर उत्सर्जन के कारण ओजोन परत को नुकसान पहुंच रहा है, जिसके परिणामस्वरूप पराबैंगनी विकिरण का स्तर बढ़ रहा है। यह विशेष रूप से दक्षिणी गोलार्ध में हो रहा है। ओशियंस इंस्टीट्यूट के निदेशक एवं शोध के सह-लेखक प्रोफेसर कार्लोस डूआर्टे ने कहा कि पराबैंगनी विकिरण के बढ़ते प्रभावों का अध्ययन दो प्रमुख भ्रांतियों के कारण सम्भव नहीं हो सका जिनमें एक यह थी कि मांट्रियल प्रोटोकाल ओजोन परत के विषय में है और दूसरा कि पराबैंगनी विकिरण का समुद्र के भीतर नहीं होता। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 27, 2012, 20:44