Last Updated: Sunday, June 23, 2013, 15:08

किरकेनिस (नार्वे) : नार्वे के सुदूर उत्तर में किरकेनिस कस्बा किसी जमाने में किसी भी अन्य यूरोपीयन बंदरगाह के मुकाबले एशिया से बहुत अधिक दूर होता था लेकिन अचानक से यह एशिया के करीब आता दिखा है और इसका कारण है जलवायु परिवर्तन।
जलवायु परिवर्तन के कारण पिघलती बर्फ ने रूस की आर्कटिक तटरेखा के साथ साथ नार्दर्न सी रूट को खोल दिया है जिससे अंतरराष्ट्रीय कारोबार का चलन बदल गया है और यहां इस सुदूर इलाके में यह किसी चार लेन के राजमार्ग के बजाय किसी शांत से गांव की छोटी सी पगडंडी अधिक दिखता है।
इस बदलाव का क्रांतिकारी महत्व है क्योंकि इसके चलते जापानी बंदरगाह योकोहामा तथा जर्मनी के हेमबर्ग के बीच की यात्रा में लगने वाले समय में जहां 40 फीसदी की कमी आयी है वहीं ईंधन पर खर्च भी 20 फीसदी घट गया है।
नार्वे शिपओनर्स ऐसोसिएशन के अध्यक्ष स्तुरला हेनरिकंसन ने बताया, इतिहास में पहली बार हम उत्तर के उपरी इलाके में एक नए समुद्री मार्ग का खुलना देख रहे हैं जिसका कारोबार और उर्जा पर बहुत बड़ा प्रभाव होगा। वर्ष 2012 में जब बर्फ अपने न्यूनतम 34 लाख वर्ग किलोमीटर के स्तर पर पहुंची तो वर्ष 2010 में चार जहाजों के मुकाबले 46 जहाजों ने नए मार्ग का इस्तेमाल किया। बर्फ तोड़ने वाले एक रूसी संचालक रोजोटोमफ्लोट ने यह जानकारी दी।
हालांकि इस मार्ग पर पारंपरिक मार्गो के मुकाबले परिवहन नगण्य है। पनामा नहर में एक साल में जहाज 15 हजार बार गुजरते हैं और स्वेज नहर में 19 हजार बार। लेकिन नए मार्ग पर भविष्य काफी उज्ज्वल दिखाई देता है। (एजेंसी)
First Published: Sunday, June 23, 2013, 15:08