Last Updated: Monday, October 3, 2011, 11:58
वॉशिंगटनः नासा के वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह और उसके वातावरण के अध्ययन में पाया कि मंगल ग्रह के वातावरण में पहले के अनुमान से सौ गुना ज्यादा पानी है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह खोज मंगल के वातावरण के बारे में पहले प्राप्त की गई जानकारी को बदल सकता है.
जर्नल साइंस में छपी यह रिसर्ज से पता चलता है कि इस लाल ग्रह पर बहुत पहले काफी पानी रहा होगा.
यूरोपियन स्पेस एजेंसी मार्स एक्सप्रेस से जांच के लिए लिया गया डाटा और नासा के मंगल टोही परिक्रमा से मिली जानकारी के अध्ययन से अंतरराष्ट्रीय खगोलशास्त्रियों ने अपना मत व्यक्त करते हुए कहा कि मंगल ग्रह के उपरी वातावरण में पानी से अतिसंतृप्त हो गया है. खगोलशास्त्रियों के पुराने विचार के अनुसार मंगल सूखा और धूल भरा ग्रह नहीं पाया गया.
अधिकांश जलवायु परिस्थितियों के अंतर्गत हवा में जलवाष्प, धूलकण काफी मात्रा में पाया जाता है.
जब वातावरण में लंबे समय तक घनी मात्रा में धूल पाई जाती है तो माना जाता है कि वातावरण में मौजूद पानी बर्फ में तब्दील हो जाता है. लेकिन मार्स एक्सप्रेस का स्पाइकैम दिखाता है कि हमारा अनुमान उतना ज्यादा है जितना 10 से 100 गुना अधिक जलवाष्प अतिसंतृप्ति की अवस्था माना जाता है.
वैज्ञानिक मल्टागलिती लुका के नेतृत्व में बनाई गई टीम के सदस्य मॉन्टमेसीन ने भी लटमॉस पर डेटा का अध्ययन किया. जब वातावरण में कम धूल पाई जाती है तब पानी को वातावरण में नहीं रोका जा सकता. इस अवस्था के लिए पानी निश्चत रुप से वाष्प से रुप में होना चाहिए. इस स्थिति को अतिसंतृप्त अवस्था कहते है. (एजेंसी)
First Published: Monday, October 3, 2011, 17:29