‘मंगल मिशन’ को हरी झंडी, 28 अक्टूबर को होगा प्रक्षेपित

‘मंगल मिशन’ को हरी झंडी, 28 अक्टूबर को होगा प्रक्षेपित

‘मंगल मिशन’ को हरी झंडी, 28 अक्टूबर को होगा प्रक्षेपितबेंगलूर : विशेषज्ञों की राष्ट्रीय समिति से हरी झंडी मिलने के बाद भारत के ‘मंगल मिशन’ का प्रक्षेपण 28 अक्टूबर को किया जाना निर्धारित किया गया है। 450 करोड़ रुपये लागत वाली इस महत्वाकांक्षी योजना को सघन विचार विमर्श के बाद हरी झंडी दी गई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की ओर से मिशन के बारे में व्यापक ब्यौरा पेश करने के बाद समिति ने गुरुवार और शुक्रवार को दो दिन तक इस बारे में विचार विमर्श किया। इस बारे में बुनियादी आपत्ति भारत के मंगल ग्रह की कक्षा में उपग्रह भेजने की प्रौद्योगिकी क्षमता के प्रदर्शन और लाल ग्रह पर जीवन के संकेत, चित्र लेने और उसके वातावरण से जुड़े अर्थपूर्ण प्रयोग करने से संबंधित रही है।

इसरो के एक अधिकारी ने कहा, समिति ने इस मिशन को हरी झंडी दे दी है। इस मिशन से जुड़े पैनल में इसरो के पूर्व अध्यक्ष यू आर राव, जाने माने अंतरिक्ष वैज्ञानिक रोद्दाम नरसिम्हा और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बेंगलूर के प्रोफसर शामिल हैं। 21 अक्तूबर और 19 नवंबर के बीच शुरू होने वाला यह अभियान अब 28 अक्तूबर को शुरू होगा हालांकि अंतिम तिथि 19 नवंबर ही रहेगी। अधिकारी ने कहा, हम इस प्रथम उपलब्ध अवसर का सदुपयोग करना चाहेंगे। उन्होंने कहा कि अगर मौसम ठीक रहा तब प्रक्षेपण 28 अक्तूबर को दोपहर में होगा।

मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) के प्रक्षेपण यान की अभी इसरो के उपग्रह समन्वय एवं परीक्षण प्रतिष्ठान में जांच की जा रही है। इसके बाद 26 सितंबर को समीक्षा के बाद इसे 30 सितंबर तक श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र भेजा जायेगा। पीएसएलवी सी25 के पहले चरण को जोड़ा जा चुका है और राकेट 10 अक्तूबर तक उपग्रह से जोड़े जाने के लिए तैयार है। उपग्रह समन्वित वैज्ञानिक प्रयोग करेगा और इसका वजन 15 किलोग्राम होगा। इसके साथ पांच उपकरण जुड़े होंगे जो मंगल ग्रह के सतह, वायुमंडल और खनिज संबंधी अध्ययन करेंगे।

पृथ्वी की कक्षा को छोड़ने के बाद अंतरिक्ष यान अपने प्रणोदक प्रणाली का उपयोग करने के बाद करीब 10 महीने तक अंतरिक्ष में रहेगा और मंगल ग्रह के प्रक्षेपपथ में सितंबर 2014 तक प्रवेश करेगा। इस अंतरिक्ष यान के इसके बाद मंगल ग्रह के दीर्घवृताकार पथ में प्रवेश करने की योजना है जो मंगल ग्रह से जुड़े रहस्यों का पता लगायेगा। मार्स आर्बिटर मिशन (एमओएम) का मुख्य ध्येय संभवत: यह पता लगाना है कि लाल ग्रह पर मिथेन है या नहीं, जिसे जीवन से जुड़ा महत्वपूर्ण रसायन माना जाता है। भारत के मंगल अभियान में अंतरिक्ष यान में पांच पेलोड जुड़े हैं जिसमें से एक मिथेन सेंसर शामिल है और यह मंगल ग्रह पर मिथेन की उपलब्धता का पता लगायेगा, साथ ही अन्य प्रयोग भी करेगा। (एजेंसी)

First Published: Sunday, September 22, 2013, 16:09

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