‘लालटेन हो सकती है भारत-चीन सीमा पर झूलती वस्तु’

‘लालटेन हो सकती है भारत-चीन सीमा पर झूलती वस्तु’

‘लालटेन हो सकती है भारत-चीन सीमा पर झूलती वस्तु’  लेह-नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर में लद्दाख क्षेत्र में झील के क्षितिज पर नजर आने वाली अज्ञात जलती हुई चीज का रहस्य हल होता हुआ जान पड़ रहा है क्योंकि सुरक्षा एजेंसियां उसे ‘चीनी लालटेन’ मान रहे हैं।

इसी माह के प्रारंभ में भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने सरकार को लिखा था कि लेह से करीब 160 किलोमीटर दूर पांगोंग झील की क्षितिज पर नारंगी-पीले रंग की रोशनी उड़ती हुई नजर आती है।

सूत्रों ने बताया कि आईटीबीपी ने इसकी खबर लेह स्थित 14 कोर को दी। उसने उधमपुर स्थित उत्तरी कमीन को कोई रोशनी वाली चीज नजर आने की बात कही। उसके बाद उस वस्तु की सघन निगरानी हुई।

विभिन्न संगठनों से वैज्ञानिक लेह बुलाए गए और भारतीय वायुसेना के विशेषज्ञों के साथ मिलाकर गहन अध्ययन किया गया। उससे पहले भारतीय वायुसेना के रडार भी झील के क्षितिज पर उड़ती हुई इस वस्तु का पता लगाने में विफल रहे थे।

झील का 45 किलोमीटर हिस्सा भारत में है जबकि शेष 90 किलोमीटर चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के नियंत्रण में है।
एक सुझाव यह आया कि इन उड़ती हुई चीजों में एक को भारतीय सेना के उष्मा केंद्रित हथियार से निशाना बनाया जाए लेकिन इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। क्योंकि इस क्षेत्र में इससे पहले केवल 20 अक्तूबर, 1962 में ही चीन के साथ दुश्मनी के दौरान गोलियों की आवाज सुनाई दी थी। सूत्रों ने कहा कि विचार-विमर्श के दौरान यह समझा गया कि इस कदम से इस क्षेत्र में तनाव फैल सकता है।

सूत्रों ने कहा कि इस क्षेत्र में छिटपुट उपस्थिति वाली खुफिया एजेंसियों ने कहा कि यह चीनी सेना का मनोवैज्ञानिक अभियान हो सकता है तथा प्रात:काल एवं रात के दौरान ‘चीनी लालटेनों’ की संभावना पर विभिन्न अंतरिक्षविदों, वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने गौर किया। इन विशेषज्ञों का हिमवर्ती क्षेत्रों के अध्ययन का गहरा अनुभव है।

लद्दाख के इंडियन एस्ट्रोनोमिकल ऑब्जर्वेटरी के विशेषज्ञों और अन्य वैज्ञानिकों ने इस परिघटना का अध्ययन किया और पाया कि यह 12-18 मिनट में गायब हो जाता है।

सूत्रों ने कहा कि झील में गश्ती लगाने वाली सीमा गश्ती नौका ने भी आवाज नहीं सुनाई देने की बात कही और उसने कहा कि रोशनी सामान्यत: गायब हो जाती है और उसका कोई अंश नहीं बचता।

वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों को संदेह है कि यह कुछ ऐसे लालटेन जलाने की चीन की चाल हो सकती है जो 500 मीटर से लेकर 2000 मीटर तक की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं और भारतीय सैन्य बलों की पेशानी पर बल पैदा कर सकते हैं जो वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भयंकर सर्दी में गश्ती करते हैं।

उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन ने वर्ष 2010 में लोगों को हवाई अड्डे तथा तटीय रेखा के एक किलोमीटर के दायरे में चीनी लालटेन नहीं उड़ाने की चेतावनी दी थी।

कई देशों ने चीनी लालटेन के बनाने पर रोक लगा दी है। यह लालटेन बांस के फ्रेम पर तेल वाले राइसपेपर लगाकर बनाया जाता है और इसमें ईंधन सेल लगा होता है जिसमें मोम जैसा दहनशील पदार्थ होता है। (एजेंसी)

First Published: Sunday, November 11, 2012, 19:33

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