वैज्ञानिकों ने खोला उल्लू के सिर घुमाने का राज-Mystery of owl`s rotating head unravelled

वैज्ञानिकों ने खोला उल्लू के सिर घुमाने का राज

वैज्ञानिकों ने खोला उल्लू के सिर घुमाने का राजवाशिंगटन: वैज्ञानिकों ने इस बात का पता लगा लिया है कि रात के अंधेरे के राजा, उल्लू पंक्षी अपना सिर बगैर किसी दिक्कत के लगभग पूरा का पूरा कैसे घुमा लेता है, और ऐसा करने में गर्दन के रास्ते मस्तिष्क तक जाने वाली एक भी रक्त वाहिका को कोई नुकसान नहीं पहुंचता। बड़ी आंख वाले इस पक्षी की शरीर रचना के अध्ययन के लिए चिकित्सक फैबियन डी कॉक-मरकैडो के नेतृत्व में जॉन्स हॉपकिन्स युनिवर्सिटी के एक दल ने दर्जन भर उल्लुओं की एंजियोग्राफी, सीटी स्कैन्स और चिकित्सकीय रेखांकन तैयार किए। इस दल ने इस पक्षी में सिर घुमाने की प्रक्रिया के दौरान किसी तरह की क्षति से बचने के लिए वहां उपस्थित चार प्रमुख जैविक रूपांतर पाए।

साइंस पत्रिका की रपट में कहा गया है कि वरिष्ठ अनुसंधानकर्ता और इंटरवेंसनल न्यूरोलॉजिस्ट, फिलिप्पे गैलौड ने कहा है कि अभी तक मेरे जैसा मस्तिष्क इमेजिंग विशेषज्ञ, जो मानसिक आघात के कारण सिर और गर्दन की रक्त वाहिकाओं में होने वाली क्षति से निपटता रहा है, वह इस बात को सोचकर हमेशा परेशान हो जाता था कि तेजी के साथ सिर घुमाने वाले इन उल्लुओं की मौत क्यों नहीं हो जाती।

जॉन्स हॉपकिन्स युनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में रेडियोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर, गैलौड ने कहा कि उल्लुओं और मनुष्यों सहित अधिकांश जानवरों की गर्दन में मान्या धमनी और कशेरुका धमनियां बहुत ही कमजोर होती हैं और वाहिका पर मामूली खरोच के प्रति भी बहुत ही संवेदनशील होती हैं। (एजेंसी)

सबसे चकित करने वाले निष्कर्ष तब सामने आए, जब अनुसंधानकर्ताओं ने उल्लू की नसों में रंगीन तरल प्रवाहित किया, कृत्रिम रक्त प्रवाह बढ़ाया और उसके सिर को हाथ से घुमाया।

जबड़े की हड्डी से ठीक नीचे सिर के आधार में स्थित रक्त वाहिकाएं, रंगीन तरल के पहुंचने के साथ-साथ लम्बी होती रहीं, और तबतक लम्बी होती रहीं, जबतक कि यह रंगीन तरल रक्त भंडार में जमा नहीं हो गया। उल्लू में पाया जाने वाला यह गुणधर्म बिल्कुल अलहदा है, और मनुष्य में ऐसा नहीं होता। बल्कि ठीक इसका उल्टा होता है। मनुष्य में गर्दन घुमाने से ये वाहिकाएं अलबत्ता छोटी होती जाती हैं। (एजेंसी)

First Published: Friday, February 1, 2013, 19:41

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