Last Updated: Tuesday, August 21, 2012, 21:50

सिडनी : ऑस्ट्रेलिया में यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न तथा आरएमआईटी यूनिवर्सिटी के भौतिकशास्त्रियों ने बिग बैंग सिद्धांत को चुनौती देते हुए कहा है कि ब्रह्मांड की रचना का कारण इस सिद्धांत को नहीं समझा जाना चाहिए।
वज्ञानिकों ने कहा कि बर्फ सहित सभी पारदर्शी पदार्थों में दरारों एवं छिद्रों के अन्वेषण से ब्रह्मांड की प्रकृति को समझना क्रांतिकारी हो सकता है।
`फिजिकल रिव्यू डी` पत्रिका की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रमुख अध्ययनकर्ता जेम्स क्वैक ने कहा कि मौजूदा अनुमान ब्रह्मांड की प्रकृति एवं उत्पत्ति को समझने के लिए इंसान की लम्बे अरसे से की जा रही खोज की दिशा में नवीनतम है।
यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न की ओर से जारी बयान में क्वैक को उद्धृत करते हुए कहा गया है कि क्वांटम ग्रैफिटी के नाम से जाने जाने वाले नए सिद्धांत के मुताबिक, अंतरिक्ष सम्भवत: परमाणु जैसे छोटे अविभाज्य खंड से बना है। ये अविभाज्य खंड पिक्सल के बराबर हो सकते हैं, जिनसे स्क्रीन पर कोई तस्वीर बनती है।
क्वैक के अनुसार, चुनौती यह है कि अंतरिक्ष का निर्माण करने वाले ये छोटे खंड बेहद सूक्ष्म हैं और इन्हें प्रत्यक्ष तौर पर देखना मुमकिन नहीं है। क्वैक एवं उनके सहयोगियों का हालांकि मानना है कि उन्होंने इन्हें अप्रत्यक्ष तौर पर देखने का तरीका विकसित किया है। उन्होंने कहा कि द्रव्य के रूप में ब्रह्मांड की शुरुआत के बारे में सोचें। इस तरह से अनुमान लगाने से हमें लगता है कि छिद्र बने होंगे, ठीक उसी तरह जैसे पानी बर्फ में जमते हैं। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, August 21, 2012, 21:16