Last Updated: Tuesday, July 2, 2013, 14:14
श्रीहरिकोटा : भारतीय अंतरक्षि अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कई सारे उपग्रहों के प्रक्षेपण की योजना तैयार की है। इसके साथ ही इसरो ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान-सी25 (पीएसएलवी-सी25) की रजत जयंती उड़ान पर उसे मंगल ग्रह की कक्षा में भेजेगा।
इसरो के अध्यक्ष के. राधाकृष्णन ने मंगलवार को संवाददाताओं को बताया कि इस वर्ष 21 अक्टूबर के बाद मंगल अभियान कभी भी हो सकता है। मंगल ग्रह का अभियान 28 या 29 नवंबर के करीब होगा। सोमवार रात भारतीय क्षेत्रीय नौवहन उपग्रह प्रणाली-1ए (आईआरएनएसएस-1ए) के पहले उपग्रह के सफल प्रक्षेपण पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए राधाकृष्णन ने अन्य प्रक्षेपणों के बारे में बताया कि अत्याधुनिक मौसम संबंधी उपग्रह इनसैट-3डी इस महीने के अंत में एरियन 5 राकेट के माध्यम से प्रक्षेपित होगा।
उन्होंने कहा कि संचार उपग्रह जीसट-14 का प्रक्षेपण भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) के माध्यम से छह अगस्त को होगा। एक अन्य संचार उपग्रह जीसेट-7 का प्रक्षेपण भी इस वर्ष के अंत तक एरियन राकेट से होगा। राधाकृष्णन ने कहा कि एक अन्य पीएसएलवी राकेट इस वर्ष दिसंबर में किसी समय स्पाट-7 नामक विदेशी उपग्रह को अंतरिक्ष में ले जाएगा।
जनवरी 2014 में जीएसएलवी मार्क3 की प्रयोगिक उड़ान होने की योजना है। मार्च 2014 में नौवहन उपग्रह श्रृंखला के दूसरे उपग्रह का प्रक्षेपण होगा। वर्ष 2015 में कार्य शुरू करने जा रहे उपग्रह आधारित नौवहन प्रणाली की राजस्व संभावना के बारे में पूछे जाने पर राधाकृष्णन ने कहा कि इसके उपयोगकर्ताओं की संख्या बहुत है। इसके साथ ही इसरो कुछ अन्य सेवाएं भी शुरू करने जा रहा है।
भारतीय उपग्रह आधारित नौवहन प्रणाली में अंतरिक्ष में सात उपग्रह होंगे और आपात स्थिति के लिए दो उपग्रह तैयार रखे जाएंगे। पूरी परियोजना पर 1,450 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इनमें से 350 करोड़ रुपये जमीनी व्यवस्था पर और शेष रकम उपग्रहों पर व्यय होगी। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, July 2, 2013, 14:14