Last Updated: Saturday, September 24, 2011, 08:46
लंदन. आधुनिक युग में सूचना क्रांती की महत्ता को हम सब भलि भांति जानते हैं. इसी को आपस में जोड़ता है इंटरनेट. समुद्र के नीचे इंटरनेट के तार यानी केबल पूरी दुनिया में फैले हुए हैं. इन्हीं केबल के जरिए दुनिया का 99 फीसदी इंटरनेट चलता है. ग्लोबल बैंडविथ रिसर्च सर्विस ने समुद्र के नीचे बिछाए गए इन केबल का मानचित्र जारी किया है.
टेलीजियोग्राफी तकनीक के मानचित्र के जरिए समुद्र में फैले अरबों डॉलर के नेटवर्क को देखने में मदद मिलेगी. मानचित्र बनाने वाले टिम स्ट्रॉन्ज के मुताबिक समुद्र में बिछाए जाने वाले केबल्स काफी महंगे होते हैं. इनकी कीमत 10-50 करोड़ डॉलर के आस पास आता है.
पिछले साल एक जहाज द्वारा केबल कट जाने पर यूरोप से पश्चिमी एशिया तक इंटरनेट प्रसारण ठप हो गया था. हिंद महासागर में भी एक जहाज के एंकर ने समुद्र के अंदर केबल काट दी थी.
इनके अनुसार केबल की वास्तविक स्थिति व जहाज की लैंडिंग की जगह, केबल की लंबाई, का पता लगाया जा सकता है.
वहीं इस केबल के टूटने पर इसके मरम्मत का खर्च भी महंगा है. 10 हजार डालर के पार है इसका खर्च. केबल के टूटने पर इसे एक जहाज को ठीक करने भेजा जाता है, जिसका एक दिन का खर्च दस हजार डॉलर होता है. केबल बहुत ज्यादा चौड़ी नहीं होती. आप इसे घर में इस्तेमाल होने वाली रस्सी जितना मोटा भी समझ सकते हैं. इलेक्ट्रिक लाइन, फाइबर लाइन के समानांतर ही बिछा दी जाती हैं.
केबल क्षतिग्रस्त होने पर जो बाधा आती है असका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 में सिसली (इटली) से मिस्र के बीच की केबल कटने से भारत में 50 फीसदी कंप्यूटर मार्केट और स्टॉक मार्केट बंद हो गया था.
(एजेंसी).
First Published: Saturday, September 24, 2011, 14:19