Last Updated: Wednesday, January 11, 2012, 10:56
वॉशिंगटन : एक नए अध्ययन में दावा किया गया है कि संतान के नर लिंग के लिए जिम्मेदार वाई क्रोमोसोम विभिन्न प्रजातियों में अलग-अलग दर से सिकुड़ रहा है, लेकिन इससे पुरूषों के अस्तित्व को कोई खतरा नहीं है।
ज्यादातर स्तनपाई प्रजातियों में पुरूषों में पाए जाने वाले दो सेक्स क्रोमोसोम में एक वाई क्रोमोसोम होता है। इसमें पाए जाने वाले जीन नर लिंग के लिए जिम्मेदार होते हैं। इन जीनों में वृषण (टेस्टिस) का निर्धारण करने वाले जीन शामिल होते हैं जिनकी वजह से नर यौनांग विकसित होते हैं।
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी की अगुवाई में एक अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक दल ने पता लगाया है कि मानव के वाइ क्रोमोसोम की तुलना में धानीयुक्त प्राणियों (मासरुपियल) के वाइ क्रोमोसोम अनुवांशिक रूप से अधिक सघन होते हैं।
पॉल वाटर्स के नेतृत्व में किए गए अध्ययन में कहा गया है कि हालांकि वाई क्रोमोसोम सिकुड़ रहा है लेकिन इसके आकार में बदलाव का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। साथ ही वाई क्रोमोसोम के सिकुड़ने की दर भी अलग-अलग है।
(एजेंसी)
First Published: Wednesday, January 11, 2012, 18:49