Last Updated: Saturday, November 19, 2011, 07:13
वाशिंगटन : स्वदेश में उपजे राजनीतिक तूफान के बीच अमेरिका में पाकिस्तान के दूत हुसैन हक्कानी इस्लामाबाद के लिए रवाना हो गए हैं। इस्लामाबाद पहुंच कर हक्कानी अचानक सुखिर्यों में आए उस खुफिया ज्ञापन पर अपना रुख स्पष्ट करेंगे, जिसके बारे में कहा जा रहा है कि इस ज्ञापन के माध्यम से पाकिस्तान के असैन्य नेतृत्व ने देश में सेना द्वारा शासन पर कब्जा किए जाने की आशंका को देखते हुए अमेरिका से मदद मांगी थी।
इस्लामाबाद रवाना होने के पहले हक्कानी ने विदेश मंत्रालय में अफ-पाक क्षेत्र के लिए विशेष अमेरिकी प्रतिनिधि मार्क ग्रॉसमैन से मुलाकात की। समझा जा रहा है कि इस दौरान इसी ज्ञापन का मुद्दा उठा।
हक्कानी ने ग्रॉसमैन के साथ बैठक के बाद कल रात अपनी ट्वीट में कहा, ‘मातृभूमि पाकिस्तान के रास्ते में।’ ऐसा कहा जा रहा था कि यह खुफिया ज्ञापन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से पाकिस्तान के दूत ने लिखा है। इस बात के सामने आने पर हक्कानी ने इस्तीफा देने का भी प्रस्ताव दिया था।
ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के कुछ दिन बाद की इस घटना के तहत यह ज्ञापन एक अग्रणी पाकिस्तानी-अमेरिकी व्यापारी द्वारा ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के तत्कालीन प्रमुख एडमिरल माइक मुलेन को सौंपा जाना था। हक्कानी ने जोर देते हुए कहा था कि उनका इस ज्ञापन से कोई लेना-देना नहीं है। कहा जा रहा है कि इस खुफिया ज्ञापन में जरदारी ने सेना द्वारा शासन पर कब्जा जमाने की आशंका को देखते हुए मुलेन की मदद मांगी थी और एक नया राष्ट्रीय सुरक्षा दल बनाने की बात की थी।
शुरूआत में मना करने के बाद मुलेन ने इस बात को स्वीकार किया कि उन्हें ऐसा ज्ञापन मिला था। हालांकि उन्होंने कहा कि उन्होंने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और न ही इसे गंभीरता से लिया।
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉर्ज लिटिल ने कल संवाददाताओं को बताया कि रक्षा मंत्री लियोन पैनेटा को ज्ञापन से जुड़े मुद्दे के बारे में जानकारी है। इस बीच विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को पाकिस्तान का अंदरुनी मामला बताते हुए इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, November 19, 2011, 20:03