Last Updated: Friday, March 29, 2013, 12:38

काबुल : अफगानिस्तान की सरकार ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया है कि तालिबान के 11 वर्ष पुराने खूनी उग्रवाद को खत्म करने के प्रयासों को वह झटका दे रहा है ।
अफगानिस्तान में 1996-2001 में तालिबान की सत्ता का समर्थन करने वाले पाकिस्तान की उसके सीमावर्ती जिलों में शरण लेने वाले इस्लामी चरमपंथियों के साथ राजनीतिक समझौता कराने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है । हाल के महीने में इन देशों के बीच संबंधों में सुधार आया था ।
लेकिन राष्ट्रपति हामिद करजई के प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान ने अब शांति की प्रकिया छोड़ दी है और आगे की चर्चा पर असंभव पूर्व शर्तें लगा दी हैं ।
ऐमल फैजी ने कहा कि ब्रिटेन में त्रिपक्षीय सम्मेलन तक चीजें ठीक चल रही थीं इसलिए हमें उम्मीद थी लेकिन जल्द ही स्पष्ट हो गया कि पाकिस्तान ने अपने रुख में बदलाव कर लिया है और शांति प्रक्रिया उसकी प्राथमिकता में नहीं है। उन्होंने कहा कि उनकी (पाकिस्तान की) मांग है कि हम उसके दुश्मन भारत के साथ सभी संबंध तोड़ लें ओैर अपने अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए पाकिस्तान भेजें । इसके साथ ही उसके साथ एक रणनीतिक भागीदारी करें ।
फैजी ने कहा कि उसकी यह मांग मानना लगभग असंभव है क्योंकि भारत अफगानिस्तान के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है । इसके अलावा कोई भी अधिकारी यदि पाकिस्तान में प्रशिक्षण पाकर यहां आएगा तो उसे पाकिस्तान का जासूर माना जाएगा । पाकिस्तान से किसी तरह का समझौता करने पर जनता पत्थर मारमारकर हमारी हत्या कर देगी क्योंकि उन्हें मालूम है कि आम जनता और सशस्त्र बलों पर हमला करने वाले आत्मघाती हमलावर पाकिस्तान से ही आते हैं । (एजेंसी)
First Published: Friday, March 29, 2013, 12:38