अमेरिका का करीबी सहभागी बनना भारत की नियति : पेंटागन

अमेरिका का करीबी सहभागी बनना भारत की नियति : पेंटागन

अमेरिका का करीबी सहभागी बनना भारत की नियति : पेंटागनवाशिंगटन : पेंटागन के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि भारत का अमेरिका का करीबी सहभागी बनना नियति है और नई दिल्ली प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग और उत्पादन में सहायक के तौर पर सैन्य स्तर के संबंध बढ़ाना चाहता है।

उप रक्षा मंत्री ऐशटन कार्टर ने यहां कहा, ‘मुझे लगता है कि भारत का अमेरिका का करीबी सहभागी बनना नियति है। मूल्यों और आकांक्षाओं के तौर पर हमारे बीच काफी समानता है, और हमारे नागरिक काफी जल्दी एवं अच्छी तरह घुल-मिल जाते हैं।’ कार्टर ने सेंटर फॉर स्ट्रैटजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज’ में कहा, ‘इसका रक्षा या सेना के साथ कोई लेनादेना नहीं है, लेकिन मुझे लगता है यह वहां भी नजर आयेगा।’

उन्होंने कहा, ‘एक विशेष महत्व का क्षेत्र जहां मुझे लगता है कि हम जल्द ही काफी प्रगति कर सकते हैं, वह है भारत की सैन्य क्षमताओं का निर्माण। वे सिर्फ सामान खरीद कर ऐसा नहीं करना चाहते। भारत प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग और सह उत्पादक के तौर पर इसे अंजाम देना चाहता है।

कार्टर ने अपने शुरुआती भाषण में कहा कि एशिया में अमेरिका को फिर से संतुलित बनाने में भारत की एक अहम भूमिका है। उन्होंने कहा, ‘व्यापक परिदृश्य में देखें तो भारत एक उभरती हुयी ताकत है, जो हमें लगता है 21वीं सदी में व्यापक सुरक्षा और समृद्धि के क्षेत्र तय करने में मदद करेगा।’ कार्टर ने कहा भारत के साथ अमेरिका के सुरक्षा संबंधी हित समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय मुद्दों पर केंद्रित हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, April 9, 2013, 11:25

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