अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: क्या है प्राइमरी व कन्वेंशन?

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव: जानिये प्राइमरी व कन्वेंशन

वाशिंगटन : अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में तमाम अन्य देशों की तरह केवल अमेरिकी नागरिक ही मतदान कर सकते हैं लेकिन पूरी दुनिया पर पड़ने वाले इसके दूरगामी प्रभावों के कारण दुनियाभर की निगाहें इन चुनावों पर लगी होती हैं।

अमेरिकी राजनीति को समझने परखने वाले विशेषज्ञों की नजर में राष्ट्रपति पद के चुनाव सालों से केवल दो ही पार्टियों डेमोकेट्रिक और रिपब्लिक के इर्द गिर्द ही घूमते रहे हैं लेकिन वहां की चुनाव प्रक्रिया बेहद उलझाउ प्रतीत होती है जो प्राइमरी, कन्वेंशन, अर्ली पोल और इनोगरेशन तक फैली है । यह प्रक्रिया राष्ट्रपति चुनाव की औपचारिक तिथि से करीब दो साल पहले से शुरू हो जाती है। प्रमुख अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक ‘कार्नेजी एनडोवमेंट फोर इंटरनेशनल पीस’ द्वारा उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव दो चरणों में बंटा हेाता है: प्राइमरी और आम चुनाव।
विभिन्न राज्यों में प्राइमरी चुनाव के जरिए पार्टियां अपने सबसे प्रबल दावेदार का पता लगाती हैं।

यह गौरतलब है कि अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए कोई दो बार से अधिक चुनाव नहीं लड़ सकता और डेमोकेट्रिक पार्टी की ओर से मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा के मैदान में होने के कारण इस पार्टी की ओर से कोई प्राइमरी इस बार नहीं हुई लेकिन रिपब्लिकन पार्टी की कई प्राइमरी हुई जिसमें मिट रोमनी सबसे प्रबल दावेदार बनकर उभरे।

देश में प्राइमरी चुनाव करीब छह महीने तक चलते हैं और इसी के तहत तीन जनवरी को सबसे पहले आयोवा राज्य में प्राइमरी चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई थी जो 26 जून को सबसे अंत में उताह में पूरी हुई। अमेरिका में दो ही प्रमुख राजनीतिक दल हैं: डेमोक्रेट और रिपब्लिक और 1869 से देश का राष्ट्रपति इन्हीं दो प्रमुख पार्टियों से रहा है। कांग्रेस की 535 सीटों में से 533 सीटों पर इन्हीं दोनों दलों का कब्जा है। इस समय सीनेट में डेमोकेट्र्स का तो प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन का कब्जा है।

बराक ओबामा देश के 43वें राष्ट्रपति हैं और अभी तक का इतिहास बताता है कि 20 राष्ट्रपति फिर से राष्ट्रपति पद पर सत्तासीन होने में सफल रहे हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फोर कैनेडियन, यूएस एंड लैटिन अमेरिकन्स स्ट्डीज’ की प्रमुख प्रोफेसर केपी विजयलक्ष्मी ने को बताया कि प्राइमरी के बाद प्रमुख राजनीतिक दल अपने अपने कन्वेंशन का आयोजन करते हैं जिसमें पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए आधिकारिक उम्मीदवार का फैसला करती है।

इसके बाद उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला 538 सदस्यीय इलेक्टोरेल कालेज के हाथों में चला जाता है जो राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का चयन करते हैं। जनसंख्या के आधार पर हर राज्य को कुछ वोट दिए जाते हैं जिससे साफ जाहिर है कि अधिक आबादी वाले राज्यों के पास अधिक वोट होंगे। सबसे अधिक आबादी वाले कैलिफोर्निया राज्य के पास 55 वोट हैं और सबसे कम आबादी वाले व्योमिंग के पास मात्र तीन वोट हैं।

छह नवंबर के चुनाव अब यह फैसला करेंगे कि रोमनी और ओबामा में से कौन किस पर भारी पड़ता है। लेकिन जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 270 वोट की जरूरत है। (एजेंसी)

First Published: Friday, November 2, 2012, 15:57

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